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अवैध हथियार बनाया-बेचा तो अब होगी उम्रकैद, एक लाइसेंस पर केवल दो हथियार

अवैध हथियार बनाया-बेचा तो अब होगी उम्रकैद, एक लाइसेंस पर केवल दो हथियार

 अवैध हथियार बनाया-बेचा तो अब होगी उम्रकैद, एक लाइसेंस पर केवल दो हथियार
 लोकसभा में आयुध संशोधन विधेयक 2019 ध्वनिमत से पारित हो गया। इसमें नए अपराधों को परिभाषित करने व हथियार कानून के उल्लंघन के लिए सजा बढ़ाने का प्रावधान किया गया है। नए विधेयक में पुलिस या सशस्त्र बलों से हथियार छीनने या चुराने, अवैध हथियार बनाने, खरीदने-बेचने, तस्करी करने या गिरोहों को हथियार पहुंचाने के दोषी पाए जाने पर उम्रकैद का प्रावधान है। 
छोटे अपराधों के लिए अब तक 3 साल की सजा का प्रावधान था, जिसे बढ़ाकर 5 साल कर दिया गया है। हमंत्री अमित शाह ने कहा कि 1959 के अधिनियम में कई विसंगतियां थीं और इस विधेयक के माध्यम से उनको दूर किया जा रहा है। विधेयक के अनुसार एक व्यक्ति अपने पास सिर्फ 2 हथियार ही रख सकेगा। खिलाडिय़ों को रियायतें भी दी जा रही हैं। 
इससे पहले एक लाइसेंस एक व्यक्ति 3 हथियार रख सकता था। 
जिस व्यक्ति के पास 2 से अधिक हथियार हैं, उसे 90 दिन के भीतर अपना तीसरा हथियार डी-लाइसेंसिंग के लिए प्रशासन या मंजूरशुदा गन डीलर के पास जमा करवाना होगा। 
समारोह में फायरिंग पर अब सजा बढ़ाने के प्रावधानों के तहत एक लाख तक जुर्माना व 2 साल कैद हो सकती है।
प्रतिबंधित गोला-बारूद रखने वालों को 7 से 14 वर्ष की सजा का प्रावधान किया गया है।
साल 2016 में 169 लोगों की ऐसी हर्ष फायरिंग की घटनाओं में जान गई थी। विधेयक पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस की परनीत कौर ने कहा कि अवैध हथियारों पर रोक लगाने और जरूरतमंद लोगों को हथियारों के लाइसेंस जारी करने की व्यवस्था की जानी चाहिए। उन्होंने कहा एक लाइसेंस पर तीन हथियार रखने की व्यवस्था को बरकरार रखा जाए। द्रमुक के ए. राजा ने कहा कि अवैध हथियारों पर रोक लगाने के साथ ही सुरक्षा बलों के हथियारों का तय सीमा से अधिक उपयोग करने पर रोक लगाई जाए। 
तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी ने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाए कि लाइसेंस जारी करने के क्या मापदंड होंगे और लाइसेंस किनको मिलना चाहिए। शिवसेना के अरविंद सावंत ने कहा कि विधेयक का कारण एवं उद्देश्य ठीक है, लेकिन देखना चाहिए कि इसमें राज्यों के अधिकारों को तो नहीं छीना जा रहा। एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि ऐसे विषयों पर केंद्र कानून नहीं बना सकते जो राज्य का विषय है।

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