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 दिल्ली पुलिस से संतुष्ट नहीं दिल्ली के 72 फीसद लोग: सर्वे 

 दिल्ली पुलिस से संतुष्ट नहीं दिल्ली के 72 फीसद लोग: सर्वे 

 दिल्ली पुलिस से संतुष्ट नहीं दिल्ली के 72 फीसद लोग: सर्वे 
 देश की राजधानी दिल्ली में रहने वाले लोगों को दिल्ली पुलिस पर भरोसा नहीं रहा है। बात चाहे अपराध के शिकार होने वाले लोगों की हो या फिर अपराध के प्रत्यक्षदर्शियों की, सभी पुलिस से दूरी बनाकर रखना चाहते हैं। यही नहीं लोग अपराध की सूचनाएं देने से भी कतराते हैं। यह बात एक सर्वे में सामने आई है। इसमें राजधानी दिल्ली के 72 फीसद लोग पुलिस से असंतुष्ट थे। प्रजा फाउंडेशन ने हंसा रिसर्च के साथ मिलकर राजधानी में किए सर्वे किया है। इसमें पुलिस व कानून व्यवस्था की स्थिति पर लोगों की राय ली गई।
प्रजा फाउंडेशन के निदेशक मिलिंद म्हस्के का कहना है कि दिल्ली में रहने वाले 27 हजार 121 परिवारों को सर्वे में शामिल किया गया है। इसमें से 10 प्रतिशत ने अपराध होते हुए देखा था, लेकिन इसमें 57 फीसद ने पुलिस को सूचना तक नहीं दी, जबकि 35 फीसद ने अपराध का सामना किया और 26 फीसद ने पुलिस को मामले की जानकारी ही नहीं दी। अपराध होते देखने वाले सिर्फ 4 प्रतिशत लोगों ने ही पुलिस थाने में जाकर एफआइआर दर्ज कराई, जबकि अपराध का सामना करने वाले 5 प्रतिशत लोगों ने थाने में जाकर केस दर्ज कराया। पुलिस को अपराध की सूचना देने वाले 72 फीसद लोग पुलिस की प्रतिक्रिया से संतुष्ट नहीं थे। अपराध का सामना करने वाले और प्रत्यक्षदर्शियों में से 26 फीसद लोगों ने इसलिए पुलिस को सूचना नहीं दी, क्योंकि उन्हें पुलिस और कानूनी प्रक्रिया पर भरोसा नहीं है। रिपोर्ट तैयार करने के लिए आरटीआइ के जरिये ली गई जानकारी में पता लगा कि राजधानी में दुष्कर्म के मामलों में पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज किए मामलों में से 63 फीसद पीड़ित मासूम बच्चे थे। दुष्कर्म के दर्ज कुल 1965 मामलों में 1237 में र्दंरदों ने मासूमों को अपनी हवस का शिकार बनाया। वहीं, वर्ष 2018-19 में अपहरण कर और बहला-फुसलाकर भगाने के मामलों में 94 प्रतिशत मामले बच्चों के अपहरण के थे। इनकी संख्या 5555 थी। इनमें से 70 फीसद मामलों में पीड़ित लड़की थी। आरटीआइ के अनुसार वर्ष 2014-15 से वर्ष 2018- 19 की अवधि में दिल्ली में दर्ज किए दुष्कर्म के मामलों में छह प्रतिशत की कमी आई है। जबकि, छेड़छाड़ की घटनाओं में 30 फीसद की कमी आई है। वहीं चोरी के मामलों की बात की जाए तो यह संख्या करीब दोगुनी हो गई है। वर्ष 2014-15 में चोरी के 52 हजार 211 मामले दर्ज किए गए थे, जबकि वर्ष 2018-19 में चोरी के 1 लाख 8 हजार 406 मामले दर्ज किए गए। लाखों की तादाद में मामलों की जांच है पड़ी है लंबित सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2017 में दिल्ली में आइपीसी के तहत चार लाख दो हजार 512 मामलों की जांच की जानी थी। इनमें से 35 प्रतिशत मामलों की जांच वर्ष के अंत तक पूरी नहीं हो सकी थी। वहीं 2017 में दो लाख 42 हजार 125 मामलों की अदालतों में कानूनी जांच की जानी थी। इनमें से 89 फीसद मामलों में 2017 के अंत तक ट्रायल पूरा नहीं सका था।

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