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सरकार के हॉलमार्किंग को अनिवार्य करने से बुलियन और जूलरी बाजारों में खासी हलचल

 सरकार के हॉलमार्किंग को अनिवार्य करने से बुलियन और जूलरी बाजारों में खासी हलचल

 सरकार के हॉलमार्किंग को अनिवार्य करने से बुलियन और जूलरी बाजारों में खासी हलचल 
       मोदी सरकार के द्वारा सोने की जूलरी के लिए हॉलमार्किंग को अनिवार्य करने की तारीख भले ही एक साल दूर कर दी हो, लेकिन बुलियन और जूलरी बाजारों में खासी हलचल पैदा हो गई है। सरकार के द्वारा अगले माह जारी होने वाले नोटिफिकेशन और रोडमैप पर सबकी नजर है। जूलर्स चाहते हैं कि जागरूकता बढ़ने के साथ लोग हॉलमार्क को ही प्राथमिकता दें, इसमें डेडलाइन से पहले ही जूलर्स स्टैंडर्ड कैरेट में शिफ्ट करने में अपनी भलाई समझ रहे हैं। देश की राजधानी दिल्ली में कम से कम आधे जूलर पहले ही बीआईएस हॉलमार्क के स्टैंडर्ड 14,18 और 22 में शिफ्ट हो चुके हैं, हालांकि कई एसोसिएशंस हॉलमार्किंग में 20 कैरेट को शामिल करने की मांग कर इसके लिए कोर्ट जाने की तैयारी में भी हैं।
द बुलियन एंड जूलर्स एसोसएशन के प्रेसिडेंट योगेश सिघंल ने बताया, उपभोक्ता मंत्रालय की ओर से 15 जनवरी 2021 से हॉलमार्किंग अनिवार्य करने की घोषणा के बाद से 14,18 और 22 कैरेट की जूलरी में लोग तेजी से शिफ्ट हो रहे हैं। मेरे यहां 80 प्रतिशत जूलरी इन्हीं कैरेट में आ चुकी है। बाकी लोगों के लिए 13 महीने का समय पर्याप्त है।इसकी अनिवार्यता को लेकर कोई हलचल नहीं है। सर्राफा असोसिएशन के मेंबर और जूलर संदीप जैन ने बताया कि हॉलमार्किंग अनिवार्य होने के चलते स्टॉक निकालने या डिस्काउंट देने जैसी कोई बात नहीं है। ज्यादातर जूलर खपत के हिसाब से ही सोना मंगाते हैं और बिक्री के बाद ही नया ऑर्डर देते हैं। अभी पूरा शादियों का सीजन, अक्षय तृतीया और अगले साल का अक्टूबर-नवंबर का पीक फेस्टिव सीजन बाकी है। ऐसे में एक साल बाद किसी के पास ऐसा स्टॉक शायद होगा जिसे मजबूरी में गलाना पड़े। 

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