
नहीं सुधर रहे देश के आर्थिक हालात, आईआईपी और महंगाई ने दिया दोहरा झटका
देश की अर्थव्यवस्था के हालात सुधारते नहीं दिख रहे हैं। औद्योगिक उत्पादन अक्टूबर में लगातार तीसरे महीने गिरा। त्योहारी सीजन की बिक्री से भी इसे सहारा नहीं मिला। इधर खुदरा महंगाई दर नवंबर में 40 महीने में सबसे अधिक हो गई। देश की लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था के लिए यह दोहरा झटका है। औद्योगिक उत्पादन में गिरावट जारी रहने से ग्रॉस डमेस्टिक प्रोडक्ट (जीडीपी) ग्रोथ तेज करने की जिम्मेदारी सरकार पर आ गई है। जानकारों का कहना है कि महंगाई दर में बढ़ोतरी के कारण भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के लिए नीतिगत दरों में कटौती संभव नहीं होगी। उन्हें आने वाले महीनों में वैसे औद्योगिक उत्पादन में कुछ सुधार होने की उम्मीद है।
इंडेक्स ऑफ इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन (आईआईपी) अक्टूबर में 3.8 प्रतिशत गिरा। रिपोर्ट के मुताबिक, मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की 23 में 18 इंडस्ट्री ग्रुप में अक्टूबर महीने मे नेगेटिव ग्रोथ दर्ज किया गया है। हालांकि सितंबर में यह 4.3 प्रतिशत फिसला था। यानी मासिक आधार पर स्थिति कुछ बेहतर हुई है। साल भर पहले के इसी महीने में इसमें 8.4 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी। अप्रैल 2012 के बाद यह पहली बार है, जब मौजूदा आईआईपी सीरीज शुरू होने के बाद लगातार तीन महीने औद्योगिक उत्पादन घाटे में रहा है।
इसके साथ ही कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (सीपीआई) के आंकड़े भी आए। इससे पता चला कि नवंबर में खुदरा महंगाई दर 5.54 प्रतिशत रही, जबकि एक महीना पहले यह 4.62 प्रतिशत थी। महंगाई दर में बढ़ोतरी खाने के सामान के दाम में दहाई अंकों में बढ़ोतरी के कारण हुई है। जुलाई 2016 में 6.1 प्रतिशत के बाद यह सबसे अधिक खुदरा महंगाई दर है। कोटक महिंद्रा बैंक की अर्थशास्त्री उपासना भारद्वाज ने कहा, 'मौद्रिक नीति समिति (मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी यानी एमपीसी) के बाद अब कर्ज और सस्ता करने की गुंजाइश नहीं है। आरबीआई ने महंगाई दर के लिए जो लक्ष्य रखा है, वह इसके ऊपरी छोर के करीब पहुंच रही है। इसलिए अब ग्रोथ बढ़ाने का दायित्व केंद्र सरकार पर आ गया है।' रिजर्व बैंक ने महंगाई दर के लिए 4 प्रतिशत का लक्ष्य रखा है। इसमें 2 प्रतिशत कम और अधिक की गुंजाइश भी उसने रखी है।