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जीएसटी चोरी के नए-नए तरीके अपना रहे व्यापारी, अप्रैल से दिसंबर तक 3626 मामले पकड़े

जीएसटी चोरी के नए-नए तरीके अपना रहे व्यापारी, अप्रैल से दिसंबर तक 3626 मामले पकड़े

ज्यादात्तर मामले में पंजाब और हरियाणा में कोचिंग सेंटर के सामने आए 
नई दिल्ली (ईएमएस)। मोदी सरकार की कोशिशों के बावजूद जीएसटी चोरी नहीं रुक रही है। क्योंकि व्यापारी नए-नए तरीके अपनाकर जीएसटी चोरी का प्रयास में लगे हुए हैं। हाल यह है कि चालू वित्त वर्ष में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) चोरी के 3,626 मामले पकड़ में आ चुके हैं। सूत्रों के मुताबिक अबतक जीएसटी चोरी के जो मामले पकड़े गए हैं, उससे यह बात सामने आई है कि कारोबारी करीब 10 तरीके अपनाकर जीएसटी चोरी का प्रयास कर रहे हैं।
जीएसटी चोरी करने का सबसे प्रचलित तरीका जाली बिल है जिसके तहत लोग सामान खरीदते समय खरीद की राशि को अधिक दिखा रहे हैं, ताकि उन्हें इनपुट टैक्स क्रेडिट अधिक मिल सके लेकिन सामान बेचते समय उसका मूल्य कम दिखाते हैं ताकि टैक्स कम देना पड़े। इसके साथ ही लोग फर्जी कंपनियां बनाकर उनमें छद्म निदेशक नियुक्त कर रहे हैं और सिर्फ कागजों में कारोबार दिखा रहे हैं। फर्जी कंपनियों के द्वारा वे सरकार से जीएसटी इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा भी कर रहे हैं। एक मामला हाल में डीजीजीएसटी इंटेलीजेंस के पटना के अधिकारियों द्वारा पकड़ में आया था।
सूत्रों ने कहा कि कुछ व्यापारी कंपोजीशन स्कीम में होने के बावजूद पूरा टैक्स वसूलते हैं। इसके अलावा कुछ कारोबारी हैं जिन्होंने जीएसटी में पंजीकरण की सीमा पार करने के बावजूद पंजीकरण नहीं कराया है। इसतरह के मामले हाल में पंजाब व हरियाणा में सामने आए हैं जहां कई कोचिंग सेंटर ने जीएसटी की चोरी के लिए अपने सेंटर का पंजीकरण ही नहीं कराया। कंपनियां ऐसी हैं जो अपनी सभी इकाइयों का पता ही नहीं लगने देतीं। इसके अलावा कुछ व्यापारी निर्धारित दरों से कम पर जीसएटी का भुगतान करते हैं।
उल्लेखनीय है कि चालू वित्तवर्ष में अप्रैल से दिसंबर की अवधि में जीएसटी चोरी के 3,626 मामले पकड़े जा चुके हैं। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआइसी) का कहना है कि चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से फरवरी की अवधि में 20,000 करोड़ रुपये की जीएसटी चोरी पकड़ी गई है।
कैसे होती है चोरी
कैसे होती हैं चोरी इस एक उदाहरण देकर समझते हैं, कोई हलवाई 100 किलोग्राम घी खरीदता है। उसमें से वह सिर्फ 70 किलोग्राम घी से मिठाई बनाता है और बाकी को बेच देता है। लेकिन जब मिठाई पर टैक्स देने की बारी आती है तो वह पूरे 100 किलोग्राम घी की खरीद के एवज में इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा करता है।

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