
हॉलमार्क को लेकर कारोबारियों में हडकंप मप्र मानक ब्यूरो के पास अभी तक आदेश नहीं
मध्यप्रदेश के कारोबारियों में सोने-चांदी के आभूषणों में हॉलमार्क की अनिवार्यता को लेकर हड़कंप मच गया है। एक साल के भीतर पुरानी ज्वेलरी को हॉलमार्क में बदलने और 15 जनवरी से हॉलमार्क की सील जरूरी करने की खबरें मंत्रालय के जरिए जारी हुई हैं, लेकिन मप्र मानक ब्यूरो के पास इस संबंध में अभी तक अधिकृत आदेश नहीं पहुंचे हैं। यही वजह है कि मामले में असमंजस की स्थिति निर्मित हो गई है। मप्र में अभी 543 ज्वेलर्स के पास ही हॉलमार्क का लाइसेंस है, जबकि जिलों में हजारों की संख्या में ज्वेलरी के कारोबारी मौजूद हैं। उपभोक्ता मामलों के केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने पिछले महीने इस संबंध में संकेत दिए थे। इसके बाद देश के अन्य राज्यों के साथ मप्र में भी सराफा कारोबारियों में हड़कंप की स्थिति बनी हुई है। नियम और प्रक्रियाओं की जानकारी नहीं मिलने से वे असमंजस में हैं। भारतीय मानक ब्यूरो के कानून के अनुसार हॉलमार्किंग के नियम तोड़ने वालों पर न्यूनतम एक लाख रुपए से लेकर आभूषणों की कीमत का पांच गुना जुर्माना और एक साल की सजा का प्रावधान किया गया है। इसलिए मानक ब्यूरो के कार्यालय में पूछताछ करने वालों की संख्या बढ़ गई है। इसके लिए उपभोक्ता मामलों का मंत्रालय जल्दी ही नोटिफिकेशन जारी करेगा। विभागीय सूत्रों का कहना है कि हॉलमार्किंग को पूरी तरह लागू किए जाने के लिए ग्रामीण इलाकों को छूट मिलेगी। इन क्षेत्रों के लिए एक साल का समय दिया जाएगा।
ब्यूरो की मप्र प्रमुख प्रीति भटनागर ने बताया कि हॉलमार्क की सील से पता चलता है कि आभूषण की शुद्धता कितनी है। टर्नओवर के हिसाब से लाइसेंस फीस तय की गई है। यदि ज्वेलर्स का वार्षिक टर्नओवर पांच करोड़ रुपए है तो पांच साल के लिए उसे हॉलमार्क लाइसेंस की फीस 7500 रुपए देना होगी। 5 से 25 करोड़ रुपए पर 15 हजार रुपए, 25 से 100 करोड़ टर्नओवर पर 40 हजार रुपए और यदि 100 करोड़ रुपए सालाना से ज्यादा टर्नओवर है तो लाइसेंस फीस 80 हजार रुपए देना होगी। उन्होंने कहा कि अभी उनके पास इस संबंध में अधिकृत तौर पर कोई सूचना नहीं आई है, लेकिन आभूषण कारोबारियों की ओर से पूछताछ बढ़ गई है। भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा सोने-चांदी के आभूषणों पर हॉलमार्क का निशान लगाने के लिए लाइसेंस जारी किया जाता है।