
दूरसंचार कंपनियां गंभीर संकट में
भारत की दूरसंचार कंपनियां वर्तमान समय में गंभीर संकट के दौर से गुजर रही है। वोडाफोन के प्रबंधन ने तो साफ तौर पर कह दिया है कि अगर सरकार ने उसकी मदद नहीं की तो कम्पनी पर ताला लगने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा। दरअसल दूरसंचार कंपनियें पर अरबों डॉलर का कर्ज है और ऊपर से जियो द्वारा छेड़े गए प्राइस वॉर ने इसकी कमर तोड़कर रख दी है। हालत यह है कि लगातार घाटे के चलते कई कम्पनियां इस क्षेत्र से बाहर निकल चुकी हैं। कंपनियों पर 1.47 लाख करोड़ रुपए का बकाया है। साल 2019 में अमरीका में 1 जीबी मोबाइल डाटा की कीमत 12.37 डॉलर और ब्रिटेन में 6.66 डॉलर रही, जबकि भारत में महज 0.26 डॉलर है, जिसके कारण यह दुनिया में सबसे सस्ता डाटा उपलब्ध कराने वाला देश बनकर उभरा है। पहले 7-8 कम्पनियां होती थीं जो घटकर 3 पर पहुंच गईं और चौथी कम्पनी सरकारी है। प्राइस वॉर में एयरटेल तथा वोडा-आइडिया को रिकॉर्ड घाटा हुआ, जबकि जियो का फायदा साल-दर-साल बढ़ता गया। दूरसंचार कम्पनियों का प्रतिनिधित्व करने वाला संगठन सैल्यूलर ऑप्रेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) चाहता है कि ट्राई मार्च से पहले जल्द से जल्द डाटा के लिए फ्लोर प्राइस लाए।