
इस साल आईपीओ में जुटाई गई 18 फीसदी नई पूंजी
साल 2019 में बाजार से पहली बार धन जुटाने वाली कंपनियों ने अपने कारोबारी जरूरतों को पूरा करने के लिए राशि प्राप्त करने के बजाय शेयरधारकों को निकासी का रास्ता उपलब्ध कराने पर जोर दिया। साल 2019 में ऐसे आरंभिक सार्वजनिक निर्गम के जरिए जुटाई गई रकम 11,156.6 करोड़ रुपए का महज 17.7 फीसदी हिस्सा ही कंपनी की कामकाजी जरूरतें पूरी करने के लिए नई पूंजी के तौर पर आया। यह जानकारी प्राइम डेटाबेस की तरफ से किए गए विश्लेषण से मिली है। आईपीओ के जरिए रकम जुटाने की प्रक्रिया में यह नई पूंजी के सबसे कम आंकड़ों में से एक है। 1989 से अब तक के आंकड़े बताते हैं कि सिर्फ साल 2017 में नई पूंजी की हिस्सेदारी 17.4 फीसदी रही थी। शुरुआती वर्षों के आंकड़े बताते हैं कि ज्यादातर आईपीओ की रकम शेयरधारकों की तरफ से ओएफएस के जरिए हिस्सेदारी बिक्री के बजाय कंपनी के खजाने में गई। साल 1989, 1990 और 1991 में कंपनी के लिए जुटाई गई 100 फीसदी रकम नई पूंजी के तौर पर थी। जुटाई गई कुल रकम के अनुपात के तौर पर सबसे ज्यादा नई पूंजी का हालिया उच्चस्तर साल 2011 में देखा गया था। 37 आईपीओ के जरिए 5,966.3 करोड़ रुपए जुटाए गए, जिसमें से सिर्फ 1.9 फीसदी ही ऑफर फॉर सेल के रूप में थे। जो कंपनी नई पूंजी के तौर पर रकम जुटाती है, उसका इस्तेमाल वह कई काम में कर सकती है। वह इस रकम का इस्तेमाल कर्ज चुकाने, अधिग्रहण करने या नई फैक्टरी लगाकर कारोबार का विस्तार करने में कर सकती है।