
खजाने पर दबाव के चलते चौथी तिमाही के लिए मंत्रालयों, विभागों के बजट में हुई कटौती
भारत सरकार के वित्त मंत्रालय ने सरकारी खजाने पर दबाव होने की बात कहते हुए वर्तमान वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में मंत्रालयों और विभागों की तरफ से किए जाने वाले खर्च में कटौती की है। मंत्रालय के डिपार्टमेंट ऑफ इकनॉमिक अफेयर्स ने कहा है कि एफवाई 2020 के जनवरी-मार्च पीरियड में पूरे साल के लिए अनुमानित बजट का अधिकतम 25 फीसदी खर्च किया जा सकता है। इससे पहले अंतिम तिमाही में खर्च के लिए 33 फीसदी की सीमा तय थी। सरकारी योजना के तहत मार्च तिमाही के लिए तय 25फीसदी की लिमिट में से अधिकतम 10 फीसदी की रकम अंतिम महीने में खर्च की जा सकती है। पहले इसके लिए 15 फीसदी की लिमिट तय थी। मंत्रालय ने ऑफिशल मेमो के जरिए कहा है कि मौजूदा वित्त वर्ष में सरकार की वित्तीय स्थिति को देखते हुए मौजूदा वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही/अंतिम महीने के लिए खर्च की अधिकतम सीमा तय की गई है। सभी मंत्रालयों और विभागों से दिशा निर्देशों का सख्ती से पालन करने और समुचित तरीके से खर्च करने के लिए कहा गया है। खर्च की सीमा घटाए जाने का मतलब यह हुआ कि जिन विभागों ने तय अवधि में अपने फंड का पूरा इस्तेमाल नहीं किया है, वे अंतिम तिमाही में अधिकतम खर्च की सीमा में कटौती किए जाने के के चलते बजट में मिली पूरी रकम खर्च नहीं कर पाएंगे।
आर्थिक सुस्ती के चलते टैक्स रेवेन्यू कलेक्शन में ग्रोथ सुस्त रहने से सरकार को 3.3फीसदी का फिस्कल डेफिसिट टारगेट हासिल करने में मुश्किल हो रही है। सितंबर क्वॉर्टर में इकनॉमिक ग्रोथ 4.5फीसदी के निचले स्तर पर आ गई थी और कॉरपोरेट टैक्स रेट में कटौती के चलते सरकार को 1.45 लाख करोड़ रुपये के रेवेन्यू का लॉस होने का अनुमान है। इस साल अप्रैल से अक्टूबर के बीच सरकार का फिस्कल डेफिसिट पूरे साल के लिए गए अनुमान से 2.4 फीसदी ज्यादा था। मूडीज इन्वेस्टर सर्विसेज, स्टैंडर्ड्स ऐंड पुअर्स ग्लोबल रेटिंग्स और फिच रेटिंग्स जैसी रेटिंग कंपनियों पहले ही फिस्कल स्लिपेज की चिंता जता चुकी हैं। मूडीज का अनुमान है कि केंद्र सरकार का फिस्कल डेफिसिट जीडीपी के 3.7फीसदी तक रह सकता है। मंत्रालय के नोटिस में यह भी कहा गया है कि बजट के रिवाइज्ड एस्टीमेट पर आधारित किसी भी एक्सपेंडिचर लिमिट को बजट एस्टीमेट पर तवज्जो दी जाएगी। किसी भी अतिरिक्त खर्च के लिए संसद की मंजूरी की जरूरत होगी।