
ईरान अगर अमेरिका पर कोई बड़ा जवाबी हमला नहीं करता तो क्रूड ऑयल के दाम नहीं बढ़ेंगे
अमेरिका के ईरान पर की गई एयर स्टॉइक में वहां के शीर्ष सैन्य कमांडर सुलेमानी के मारे जाने के बाद अगर ईरान की ओर से कोई बड़ा जवाबी हमला नहीं किया जाता को क्रूड ऑयल के दाम में तेजी नहीं आएगी। अमेरिका और ईरान के बीच तनाव बढ़ने से ऑयल की सप्लाई पर असर पड़ने की आशंका है। हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्प (एचपीसीएल) के चेयरमैन एमके सुराणा ने बताया कि ऑयल की डिमांड और सप्लाई की वास्तविक स्थिति में अभी बदलाव नहीं हुआ है। सुराणा ने एक इंटरव्यू में कहा, 'ऑयल के प्राइस में इस घटना का असर शामिल है। अब यह लोगों का अनुमान होगा कि प्राइस बढ़ता है या नहीं। कोई नया कारण ही अगले कुछ सप्ताह में प्राइस बढ़ा सकता है। कोई कारण न होने पर कीमतों में कमी आएगी।' क्रूड ऑयल का प्राइस शुक्रवार को लगभग 3 डॉलर चढ़कर 69 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया था। सुराणा ने बताया कि जोखिम की आशंका बढ़ने, शॉर्ट कवरिंग की कोशिशों और सट्टेबाजी से ऑयल प्राइसेज कुछ चढ़ सकते हैं, लेकिन ये 75 डॉलर प्रति बैरल से अधिक नहीं होंगे।
सुराणा ने कहा, 'इस घटना का असर इस पर निर्भर करेगा कि ईरान की प्रतिक्रिया कैसी होती है। पिछले कुछ इवेंट्स के मद्देनजर हमारा मानना है कि असर सीमित होगा।' पिछले इवेंट्स में सऊदी अरब की रिफाइनरी पर सितंबर में हुआ हमला शामिल है जिससे ग्लोबल ऑयल सप्लाई में कमी आई थी। हालांकि इससे प्राइस पर कोई बड़ा असर नहीं पड़ा था। सऊदी अरब ने सप्लाई को जल्द बहाल कर दिया था और ग्लोबल मार्केट में सप्लाई अधिक होने से दाम जल्द नीचे आ गए थे। सुराणा ने कहा कि यह देखना होगा कि ईरान की ओर से बदले का क्या कदम उठाया जाता है और दुनिया उस पर कैसी प्रतिक्रिया देती है। उन्होंने बताया, 'अगर जोखिम की आशंका के आधार पर बॉन्ड यील्ड चढ़ती है तो इसका डॉलर के मूवमेंट पर असर पड़ेगा।' रुपये में कमजोरी आने से एचपीसीएल जैसी कंपनियों के ऑयल इम्पोर्ट का बिल बढ़ जाता है। क्रूड ऑयल महंगा होने से देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में भी बढ़ोतरी होती है। ये कीमतें पहले ही 13 महीने के उच्च स्तर पर हैं। पिछले दो महीनों में पेट्रोल और डीजल की कीमतें 3 रुपये प्रति लीटर तक बढ़ चुकी हैं।