
फिच बोला- कोयले पर प्रदूषण टैक्स हटाने का प्रस्ताव नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र के लिए जोखिम भरा
वैश्विक कारोबार जगत की रेटिंग एजेंसी फिच ने कहा कि भारत में कोयले पर कार्बन कर (टैक्स) हटाने का प्रस्ताव देश के नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र के लिए बड़ा जोखिम भरा है। फिच ने सोमवार को कहा कि भारत सरकार ने कर्ज के बोझ तले दबे बिजली उद्योग को राहत देने के लिए कोयले पर कार्बन कर समाप्त करने का प्रस्ताव किया है। यह कर प्रति टन 400 रुपये की दर से लागू किया जाता है। यह प्रस्ताव ऐसे समय आया है जबकि नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं के लिए बोलियों में इस क्षेत्र की बिजली की दरें काफी नीचे आ चुकी है। फिच सोल्यूशन्स ने अपनी एक टिप्पणी में कहा है कि कोयले पर कार्बन कर हटाने का प्रस्ताव ‘नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र की वृद्धि को प्रभावित करेगा।’ उसकी राय में यह कर हटने से कोयला आधारित बिजली सस्ती होगी और इस काम में कोयले का इस्तेमाल बढ़ेगा। भारत के बिजली उत्पादन क्षेत्र में कोयले की भूमिका बहुत बड़ी है। अनुमान है कि 2029 तक बिजली उत्पादन क्षमता में कोयले पर आधारित बिजली घरों का हिस्सा 70 प्रतिशत से थोड़ा ही कम रहेगा। उसके मुकाबले पर बिजली को छोड़ बाकी नवीरकणीय स्रोतों की बिजली उत्पादन क्षमता 15.6 प्रतिशत होगी।