YUV News Logo
YuvNews
Open in the YuvNews app
OPEN

फ़्लैश न्यूज़

इकॉनमी

20 वर्षों में पहली बार घटेगी सरकार की आमदनी 

20 वर्षों में पहली बार घटेगी सरकार की आमदनी 

20 वर्षों में पहली बार घटेगी सरकार की आमदनी 
पहले से सुस्ती से जूझ रही अर्थव्यवस्था को आने वाले समय में एक बड़े झटके का सामना करना पड़ सकता है। बीते दो दशक में पहली बार चालू वित्त वर्ष में केंद्र सरकार की आमदनी (प्रत्यक्ष कर से) घट सकती है। केंद्र सरकार के आधे दर्जन से भी अधिक वरिष्ठ अधिकारियों ने यह जानकारी दी है। इकोनॉमी को सुस्ती से उबारने के लेकर निवेश आकर्षित करने के लिए सरकार ने पिछले दिनों कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती की घोषणा की थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 31 मार्च, 2020 को समाप्त होने वाले वित्त वर्ष में प्रत्यक्ष कर संग्रह का लक्ष्य 13.5 लाख करोड़ रुपये तय किया था, जो पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 17 फीसदी अधिक है। आर्थिक सुस्ती के कारण मांग में भारी गिरावट आने से कंपनियां बेहद प्रभावित हुईं, जिसके कारण उन्हें निवेश तथा रोजगार में कटौती के लिए मजबूर होना पड़ा। इसका सरकार के कर संग्रह पर प्रतिकूल असर पड़ा और उसने चालू वित्त वर्ष के लिए विकास दर अनुमान को घटाकर 5त्न कर दिया, जो 11 वर्षों का निचला स्तर है।
10 फीसदी घट सकता है कर संग्रह
एक वरिष्ठ वित्त अधिकारी ने कहा कि 23 जनवरी तक केंद्र सरकार केवल 7.3 लाख करोड़ रुपए ही इक_ा कर पाई है, जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इक_ा किए गए टैक्स की तुलना में 5.5 फीसदी कम है। आठ वरिष्ठ कर अधिकारियों ने बताया कि तमाम प्रयासों के बावजूद इस वित्त वर्ष में प्रत्यक्ष कर संग्रह बीते वित्त वर्ष के 11.5 लाख करोड़ से भी कम रह सकता है। नई दिल्ली में एक अधिकारी ने कहा, लक्ष्य को भूल जाइए। ऐसा पहली बार होगा जब हम प्रत्यक्ष कर संग्रह में गिरावट देखेंगे। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस वित्त वर्ष में प्रत्यक्ष कर संग्रह वित्त वर्ष 2018-19 की तुलना में 10 फीसदी कम रह सकता है।
कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती का भी असर
कर अधिकारियों ने यह भी कहा है कि कर संग्रह में आई गिरावट का एक कारण पिछले साल सरकार द्वारा कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती हो सकती है, जिसका उद्देश्य मैन्युफैक्चरर्स को लुभाना तथा विदेशी निवेश को बढ़ावा देना था। मुंबई में एक और अधिकारी ने कहा, हमें खुशी होगी अगर हम पिछले साल प्रत्यक्ष कर से हुई आय का भी आंकड़ा छू ले, लेकिन अर्थव्यवस्था की हालत देखकर मैं बहुत ज्यादा आशान्वित नहीं हूं।

Related Posts