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वेलेंटाइन डे और केजरीवाल का अनूठा कनेक्शन

वेलेंटाइन डे और केजरीवाल का अनूठा कनेक्शन

वेलेंटाइन डे और केजरीवाल का अनूठा कनेक्शन
आम आदमी पार्टी सत्ता की ओर बढ़ रही है। दिल्ली में पार्टी की यह लगातार तीसरी सरकार होगी। ऐसा होने पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल एक बार फिर वैलेंटाइंस डे यानी 14 फरवरी को शपथ ले सकते हैं। 8 फरवरी को दिल्ली में विधानसभा चुनाव के लिए हुए मतदान के बाद सभी एग्जिट पोल में आम आदमी पार्टी की जीत सुनिश्चित बताई गई है। इसके साथ ही इससे 14 फरवरी यानी वैलेंटाइंस डे के साथ अरविंद केजरीवाल के साथ कनेक्शन का भी पता चलता है। इसे संयोग भी कहा जा सकता है लेकिन 2013 और 2015 दोनों ही बार दिल्ली विधानसभा चुनाव में वैलेंटाइंस डे किसी न किसी तरह अरविंद केजरीवाल के साथ जुड़ा हुआ है।
2013 दिल्ली विधानसभा चुनाव
2013 में दिल्ली में 4 दिसंबर को विधानसभा चुनाव हुए और 8 दिसंबर को परिणाम घोषित किए गए। 2012 नवंबर में आम आदमी पार्टी की स्थापना हुई और पहली बार पार्टी ने इसी साल चुनाव लड़ा। दिल्ली में भाजपा ने 70 में से 31, आम आदमी पार्टी ने 28 और कांग्रेस ने 8 सीटें जीती और विधानसभा त्रिशंकु रही। आप ने सरकार बनाने के लिए कांग्रेस से हाथ मिला लिया। अरविंद केजरीवाल ने 28 दिसंबर को पहली बार दिल्ली के मुख्यमंत्री की शपथ ली। हालांकि, कांग्रेस और आप के बीच रिश्ते खराब हो गए थे। कांग्रेस ने सिर्फ बाहर से ही केजरीवाल सरकार को अपना समर्थन दिया था। इसके बाद केजरीवाल ने इस्तीफा देने का फैसला किया और इसके लिए 14 फरवरी 2014 का दिन चुना गया। यह सरकार सिर्फ 49 दिनों तक ही चली। इसके बाद दिल्ली में राष्ट्रपति सरकार लगा दिया गया।
2015 दिल्ली विधानसभा चुनाव
चुनाव आयोग ने 12 जनवरी 2015 को दिल्ली में चुनाव की घोषणा की। और इसी दिन आप के प्रवक्ता राघव चड्ढा ने ऐलान कर दिया कि केजरीवाल ऐतिहासिक रामलीला मैदान में 14 फरवरी को शपथ लेंगे और उस दिन वह दिल्ली के वैलेंटाइंस बनेंगे। चड्ढा ने कहा था, हम बहुमत मिलने को लेकर सुनिश्चित हैं। आप एक सकारात्मक अभियान के साथ चुनाव लड़ रही है और दिल्ली के लिए ब्लू प्रिंट आप के पास है। 14 फरवरी को अरविंद केजरीवाल दिल्ली के वैलेंटाइंस होंगे और सीएम के तौर पर शपथ लेंगे। 7 फरवरी को वोटिंग हुई थी और 10 फरवरी को चुनाव परिणाम आया था। आप ने इन चुनावों में सभी चुनाव विशेषज्ञों को गलत साबित किया और इस नई पार्टी ने नए रेकॉर्ड बना डाले। आप ने 67 सीटों पर जीत हासिल की और भाजपा को सिर्फ 3 सीटों पर रोक दिया। पहली बार ऐसा हुआ था कि कांग्रेस को कोई सीट नहीं मिली। जैसा कि राघव चड्ढा ने ऐलान किया था अरविंद केजरीवाल ने रामलीला मैदान में लगातार दूसरी बार दिल्ली के सीएम के तौर पर शपथ ली। एक साल बाद केजरीवाल ने इस दिन के महत्व को बताते हुए एक ट्वीट किया था।

नतीजे तय करेंगे भाजपा का भविष्य
दिल्ली चुनाव को लेकर भाजपा नेताओं का दावा है कि एग्जिट पोल्स पूरी तरह गलत साबित होंगे और सरकार भाजपा की ही बनेगी। सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी नेताओं को जहां 45 से 48 सीटें जीतने की उम्मीद है, वहीं संगठन के लोगों का आकलन है कि पार्टी से 35 से 38 सीटें मिल सकती हैं, जबकि तमाम न्यूज चैनलों के एग्जिट पोल में भाजपा को कम से कम 2 और अधिकतम 26 सीटें मिलती दिखाई गई थी। ऐसे में ऊंट किस करवट बैठेगा, यह जानने की बेचैनी हर किसी को है। 
अगर 25 से 30 सीटें मिलीं तो?
एग्जिट पोल्स में भाजपा को अधिकतम 26 सीटें मिलती दिखाई गई हैं। ऐसे में अगर बीजेपी 25 या 30 सीट जीत जाती है, तो बड़ी रोचक स्थिति पैदा हो सकती है। फिर यह देखने वाली बात होगी कि भाजपा किसी तरह की जोड़तोड़ करके या आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के विधायकों के बीच कोई सेंध लगाकर सरकार बनाने की कोई कोशिश करती है या नहीं। अगर 30 सीटें जीतने के बावजूद भाजपा सरकार नहीं बना पाती है, तो यह पार्टी के एक निराशाजनक स्थिति जरूर रहेगी, लेकिन दिल्ली विधानसभा में विपक्ष की स्थिति जरूर पहले से काफी मजबूत हो जाएगी। साथ ही पार्टी अपनी साख बचाने में भी काफी हद तक कामयाब हो सकेगी। यह आम आदमी पार्टी के लिए भी एक झटका होगा।
अगर 50 से ज्यादा सीटें जीते तो?
भाजपा नेताओं का दावा है कि दिल्ली में भाजपा की सरकार बनेगी। कोई 45 से ज्यादा सीटें जीतने का दावा कर रहा है, तो कोई 48 और कोई 50 से ज्यादा सीटें मिलने की बात कह रहा है। अगर सचमुच ऐसा होता है और भाजपा को बंपर जीत मिलती है, तो भाजपा के राष्ट्रवादी अजेंडे को काफी मजबूती मिलेगी और देशभर में यह संदेश जाएगा कि सीएए और एनआरसी जैसे मुद्दों पर आम जनता बीजेपी के साथ खड़ी है। इससे राष्ट्रीय स्तर पर अमित शाह की और दिल्ली में प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर मनोज तिवारी का कद भी बढ़ेगा। बीजेपी जहां दो दशकों के बाद दिल्ली में अपनी सरकार बनाने में कामयाब रहेगी, वहीं आम आदमी पार्टी के सामने अस्तित्व बचाने का सवाल खड़ा हो जाएगा।

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