YUV News Logo
YuvNews
Open in the YuvNews app
OPEN

फ़्लैश न्यूज़

रीजनल

दिल्ली चुनाव: सीएम चेहरा घोषित न करना भाजपा की बड़ी भूल 

दिल्ली चुनाव: सीएम चेहरा घोषित न करना भाजपा की बड़ी भूल 

दिल्ली चुनाव: सीएम चेहरा घोषित न करना भाजपा की बड़ी भूल 
 कई राज्यों में जीत दिलाने वाली भाजपा की 'फूलप्रूफ' रणनीति दिल्ली में नहीं चल सकी। स्थानीय के बजाय केंद्र के चेहरे के दम पर भाजपा ने कई राज्यों में अपना परचम लहराया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनाव में सबसे बड़ा चेहरा बनाते हुए उसने उत्तराखंड, हिमाचल, असम, मणिपुर और गुजरात जैसे कई राज्यों में जीत दर्ज की। उत्तर प्रदेश में भी मतदान तक मुख्यमंत्री उम्मीदवार की बात नहीं हुई और चुनाव जीतने के बाद योगी आदित्यनाथ को प्रदेश की कमान सौंपी गई। हिमाचल प्रदेश में चुनाव जीतने के बाद जयराम ठाकुर को मुख्यमंत्री बनाया गया। इससे पहले जेपी नड्डा और प्रेम कुमार धूमल तक का नाम चला। उत्तराखंड में त्रिवेंद्र सिंह रावत को पार्टी हाईकमान ने परिणाम आने के बाद कमान सौंपी। मणिपुर, गुजरात और असम जैसे राज्यों में भी प्रचार के दौरान सीएम पद का चेहरा लापता रहा। इतनी सफलताओं की वजह से भाजपा की इस रणनीति को बल मिलता चला गया। मगर दिल्ली में यह रणनीति कतई सफल नहीं हुई। यहां भाजपा के सामने एक ऐसा चेहरा था, जिसे पार्टी की वजह से नहीं बल्कि पार्टी को उसकी वजह से जाना जाता है। आम आदमी पार्टी का गठन ही अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में हुआ। यही भूल भाजपा को भारी पड़ गई। इतने बड़े चेहरे के सामने भाजपा को कोई भी स्थानीय चेहरा नहीं था। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह दिल्ली की गलियों में घूम-घूमकर प्रचार कर रहे थे, लेकिन जनता को उस चेहरे की तलाश थी, जिसे वे भावी मुख्यमंत्री के रूप में देख सकें। भाजपा के स्थानीय नेताओं में सबसे पहला नाम प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी का सामने आया। मगर अक्सर विवादित बयान देने वाले मनोज तिवारी कभी भी एक गंभीर नेता के तौर पर अपनी छवि नहीं बना सके। पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे परवेश वर्मा भी अपने विवादित बयानों की वजह से ही चर्चा में रहे। भाजपा के पास एक और चेहरा था, जिसे आगे किया जा सकता था। केंद्रीय मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन। डॉक्टर हर्षवर्धन की छवि एक स्वच्छ व गंभीर नेता के रूप में है। स्थानीय नेता के तौर पर भी उनकी स्वीकृति है। मगर भाजपा ने उन्हें किसी भी मौके पर आगे नहीं किया। इस वजह से दिल्ली की जनता हमेशा इसी पशोपेश में रही कि अगर भाजपा जीतती है, तो मुख्यमंत्री कौन?

Related Posts