नए या पुराने टैक्स सिस्टम में से एक चुनने के विकल्प से वंचित रहेंगे कई लोग
देश में बजट 2020 में ने कर प्रणाली का प्रस्ताव रखा गया, जिसे लेकर हर तरफ हंगामा है। करदाता नए या मौजूदा, किसी भी सिस्टम को चुन सकते हैं, लेकिन नए सिस्टम के साथ कोई डिडक्शन नहीं लिया जा सकेगा। करदाता को दोनों टैक्स सिस्टम्स में से एक चुनने का मौका मिलेगा, वे हर साल अपना यह चुनाव बदल सकते हैं लेकिन कुछ करदाता को यह सुविधा नहीं मिलेगी। यानी वे एक बार जिस सिस्टम को चुन लेंगे, उन्हें उसी के साथ बने रहना होगा। फाइनैंस बिल 2020 के मुताबिक, जिस करदाता की बिजनेस इनकम नहीं है, सिर्फ वही नई से पुरानी या पुरानी से नई व्यव्स्था को चुन सकेगा। यानी सिर्फ सैलरीड और पेंशनर्स को ही एक से दूसरे सिस्टम में स्विच करने का विकल्प मिलेगा। जिन करदाता की बिजनेस इनकम हो, वे हर साल चुनाव बदल नहीं सकेंगे। एक बार जो व्यवस्था चुन ली, उसी के साथ आगे बढ़ना होगा। कंसल्टेंट्स की आय को बिजनेस आय माना जाता है। साफ है कि वे भी एक ही सिस्टम के साथ आगे बढ़ेंगे। उनको एक से दूसरे सिस्टम में स्विच करने की इजाजत नहीं होगी। आईटीआर फाइलिंग वेबसाइट के सीईओ और संस्थापक अभिषेक सोनी कहते हैं, 'ऐसे सैलरीड लोग जिनकी फ्रीलांस या कंसल्टेंसी से भी कमाई है, उनके पास हर साल स्विच करने का ऑप्शन नहीं होगा।' बिजनेस इनकम वाला शख्स अगर एक बार नया सिस्टम चुन लेता है और फिर पुराने में वापसी करना चाहता है तो बस एक बार ऐसा कर सकता है। अगली बार से उसे पुराने सिस्टम में ही बने रहना होगा। अगर भविष्य में किसी वजह से बिजनेस इनकम रुक जाती है तो करदाता के लिए दोनों सिस्टम्स में चुनाव का रास्ता फिर खुल जाएगा।
इकॉनमी
नए या पुराने टैक्स सिस्टम में से एक चुनने के विकल्प से वंचित रहेंगे कई लोग