
राष्ट्रपति ट्रंप का प्यार हार्ले डेविडसन बाइक पर इंपोर्ट ड्यूटी जीरो हो सकती
अगर आपका सपना हार्ले डेविडसन जैसी महंगी बाइक खरीदने का है,तब आपके लिए अच्छी खबर है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत दौरे के दौरान उनका हार्ले डेविडसन के प्रति प्रेम फिर सामने आया। इस महंगी बाइक पर इंपोर्ट ड्यूटी जीरो हो सकती है,इससे आपको फायदा होगा। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि मोदी बहुत टफ हैं और कई मुद्दों पर चर्चाओं के बीच दोनों देशों के उद्योग संगठनों की जॉइंट रिपोर्ट में महंगी बाइकों पर इंपोर्ट ड्यूटी घटाने को लेकर भी बात हुई, जिसमें ट्रंप का प्यार हार्ले भी शामिल है। भारत और अमेरिका व्यापार को 500 अरब डॉलर तक पहुंचाने के लिए दोनों ही इंडस्ट्री ग्रुप ने मंगलवार को महंगी बाइकों पर ड्यूटी को शू्न्य करने की वकालत की। यह वकालत कंप्लीट बिल्ट अप इकाइयों(सीबीयू) और कंप्लीटली नॉक्ड डाउन (सीकेडी) यूनिट्स, दोनों के लिए की गई।
यूएस इंडिया बिजनस काउंसिल और कंफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री, दोनों की रिपोर्ट में कहा गया कि भारत में बिकने वाली सभी 5 लाख से ऊपर की कीमत की बाइकों पर आयात शुल्क शून्य किया जा सकता है। 13 उन क्षेत्रों की लिस्ट तैयार की गई है, जिनका समाधान अगर हो जाता है,तब दोनों देशों के बीच व्यापार को बूस्ट मिलेगा। इनमें भारत को जीएसपी (जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रिफरेंस) का दर्जा लौटाना, मेडिकल उपकरणों की कीमत को लेकर सहमति, ई-कॉमर्स पॉलिसी में बदलाव, स्टील और अल्युमीनियम पर ऊंचे टैरिफ में कटौती, डिफेंस और एयरोस्पोस में मजबूत साझेदारी आदि शामिल हैं। रिपोर्ट में कहा गया,साल 2017-18 के दौरान हार्ले डेविडसन की 3,413 बाइकें भारत में बेची गईं, यानी बीते वर्ष से 7 फीसदी कम। सीबीयू यूनिट्स की बात करें,तब भारत 2018 में ही ड्यूटी को 75 प्रतिशत से घटाकर 50 प्रतिशत कर चुका है, लेकिन यह इस प्रॉडक्ट के कुल ट्रेड का बहुत कम हिस्सा है। अगर इस ड्यूटी को पूरी तरह से खत्म कर दें तब अमेरिका के लिए यह सिंबॉलिक जीत होगा।'
रिपोर्ट के अनुसार, मेडिकल डिवाइसेस की कीमत नियंत्रण के मुद्दे पर चर्चा हुई और यह उन मुख्य वजहों से एक था, जिसके कारण यूएस ऑफिस ऑफ ट्रेड रिप्रजेंटेटिव ने जीएसपी के लिए भारत की पात्रता की समीक्षा पर विचार किया। रिपोर्ट में भारत की ई-कॉमर्स पॉलिसी पर भी रौशनी डाली गई। ऐसा कहा गया कि इस मुद्दे ने कई मुद्दों को जन्म दिया जिनके कारण भारत और अन्य देशों की कंपनियों पर असर पड़ रहा है। इन मुद्दों में कन्युनिटी और प्राइवेट डेटा की परिभाषा का मुद्दा,क्रास-बॉर्डर डेटा शेयरिंग वपर रोक, संवेदनशील डेटा आदि शामिल हैं।