भारतीय स्टेट बैंक के साथ बैंक आफ इंडिया और बैंक आफ बड़ौदा ने संकट में फंसी कंपनियों को नए कर्ज की पेशकश की है। वित्त वर्ष समाप्त होने वाला है और बैंक उम्मीद कर रहे हैं कि तमाम छोटी और मझोली कंपनियां चूक कर सकती हैं। यूनियन बैंक और इंडियन बैंक ने भी कार्यशील पूंजी की सीमा बढ़ाने के लिए इसी तरह के कदम की घोषणा की है। बैंक भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से गैर निष्पादित संपत्ति (एनपीए) के वर्गीकरण में 90 दिन के बाद आगे 3 महीने तक की और देरी किए जाने की भी उम्मीद कर रहे हैं। अगर किसी कर्ज का भुगतान 90 दिन तक नहीं किया जाता है तो वह बैंकों के लिए खराब कर्ज बन जाता है और उसके लिए प्रावधान किए गए हैं। कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन से बने दबाव को कम करने के लिए कॉर्पोरेट्स ने बैंकों और सरकार से कहा है कि 6 महीने के लिए नकदी की व्यवस्था की जानी चाहिए, जिससे वे अपने आपूर्तिकर्ताओं और कर्मचारियों को भुगतान कर सकें।
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बैंकों ने की कंपनियों को नए कर्ज की पेशकश