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संकट का नया रूप: दवा तैयार, मगर बॉटल-कैप नहीं

संकट का नया रूप: दवा तैयार, मगर बॉटल-कैप नहीं

इस समय देश में राशन के बाद किसी चीज की जरूरत है तो वह है दवा। जिस दवा के लिए अमेरिका तक को भारत के सामने हाथ फैलाना पड़ा है, वही भारत में संकट का कारण बन सकती है। लॉकडाउन के चलते देश की फार्मास्युटिकल्स इंडस्ट्री को दवा पैक करने के लिए बॉटल और कैप जैसी चीजों के ट्रांसपोर्टेशन में बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि ये देशव्यापी लॉकडाउन से मुक्त जरूरी सेवाओं की श्रेणी में नहीं आती हैं। यह बात इंडस्ट्री एक्सपट्र्स ने कही है। नेशनल केमिस्ट ऐंड ड्रगिस्ट असोसिएशन और इंडस्ट्री लॉबी ग्रुप्स ने सरकार से मेडिकल प्रोडक्शन से जुड़ी सभी चीजों को जरूरी सेवा की श्रेणी में रखने की अपील की है क्योंकि उन्हें आने वाले दिनों में सप्लाई के मोर्चे पर मुश्किलें बढऩे की आशंका है।
बिना बॉटल या कैप के दवा बेकार
फार्मा कंपनियों का कहना है कि हम दवा तो बना रहे हैं मगर बिना बॉटल या कैप के क्या करेंगे? ये चीजें भी दवाओं जितनी ही जरूरी हैं। असोसिएशन के एक मेंबर ने आगाह किया कि अगर बॉटल और कैप के लॉजिस्टिक्स का मसला सुलझाया नहीं गया तो बहुत जल्द देश के कई हिस्सों में मेडिकल सप्लाई बाधित होने लगेगी। फार्मा इंडस्ट्री से जुड़े लोगों ने यह भी कहा कि कई ट्रांसपोर्टर और कूरियर सर्विसेज नहीं चल रही हैं जिसके चलते सप्लाई में दिक्कत हो रही है। एक सूत्र ने बताया कि असम और तेलंगाना जैसे राज्यों में सबसे अधिक दिक्कत है। इसके अतिरिक्त पूर्वी उत्तर प्रदेश, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और पंजाब भी प्रभावित हैं। कुछ इंडस्ट्री एक्सपट्र्स ने आरोप लगाया कि जिला प्रशासन सहयोग नहीं कर रहे हैं और जरूरी परमिट से मना कर रहे हैं।  

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