कोरोनावायरस के चलते मध्यम और छोटे उद्योगों पर आर्थिक दृष्टि से काफी विपरीत असर पड़ा है। केंद्र सरकार जल्द ही एक राहत पैकेज का एलान करने जा रही है। सूत्रों के अनुसार यह पैकेज 1 लाख करोड़ रुपए का हो सकता है। इस पैकेज में छोटे एवं मझोले कारोबारियों को ब्याज की दरों में छूट और सरकारी बैंकों के पुर्नर्न भुगतान योजना में छूट दिए जाने की उम्मीद है।
भारत सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के सूत्रों का कहना है कि सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्यमों के लिए सरकार एक पैकेज देने जा रही है। बड़ी कंपनियों के लिए अलग पैकेज की घोषणा होगी।
सूत्रों के अनुसार एमएसएमई के लिए नए पैकेज में पूंजी की जरूरत, कर्ज की सीमा में वृद्धि, टैक्स छूट के लाभ की सीमा बढ़ाने, आयकर एवं अन्य बकाया राशि जमा करने में ढील जैसी घोषणाएं करने पर विचार हो रहा है।
देश की अर्थव्यवस्था में छोटे व्यवसाय का 30 फ़ीसदी योगदान
छोटे कारोबारी भारत की 220 लाख करोड़ की अर्थव्यवस्था में एक चौथाई से अधिक योगदान देते हैं।सबसे बड़ी बात यह है कि छोटे व्यवसायों से लगभग 50 करोड़ असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को रोजगार मिलता है लॉकडाउन के दौरान सबसे ज्यादा यही क्षेत्र प्रभावित हुआ है। इसलिए सरकार छोटे व्यवसायों के लिए आंशिक रूप से टैक्स रिफंड योजना भी लागू करने पर विचार कर रही है।
प्रमुख उद्योगों के संगठन ने मांगा 22 लाख करोड़ का पैकेज
उद्योग संगठन एसोचैम विक्की और सीआईआई ने सरकार से 22 लाख करोड़ रुपए का पैकेज दिए जाने की मांग की है सरकार ने प्रमुख उद्योगों को 1.70 लाख करोड़ के राहत पैकेज का एलान कर दिया है।अर्थशास्त्रियों के अनुसार सरकार ने जो राहत पैकेज घोषित किया है। उसमें केवल 70000 करोड रुपए का नया प्लान है। बाकी की घोषणा बजट में पहले ही सरकार कर चुकी थी।
इकॉनमी
छोटे और मझोले कारोबारियों के लिए 1 लाख करोड़ का पैकेज?