कोरोना संकट में भारत अन्य देशों की मदद के लिए कदम उठा रहा है। पहले दवाओं का एक्सपोर्ट खोलने के बाद, अब कुछ जरूरतमंद देशों को खाद्यान्न का निर्यात भी करेगा। इसके लिए सरकारी एजेंसी नैफेड काम करेगी। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का कहना है कि भारत में गेहूं की पैदावार अपनी जरूरत से अधिक हुई है। दूसरे देशों से प्राप्त विशिष्ट मांगों के आधार पर नैफेड को कहा गया है कि 50 हजार मीट्रिक टन गेहूं का एक्सपोर्ट अफगानिस्तान और 40 हजार मीट्रिक टन गेहूं का एक्सपोर्ट लेबनॉन को जीटूजी यानी सरकार से सरकार व्यवस्था के अंतर्गत किया जाए।
बता दें कि बीते कुछ साल में भारत ने कुछ देशों को अनाज दान भी किया है। साल 2011-12, 2013-14 और 2017-18 में भारत ने 3.5 लाख मीट्रिक टन गेहूं अफगानिस्तान को दान दिया। साल 2012-13 में मानवीय सहायता के नाते भारत सरकार ने 2,447 मीट्रिक टन गेहूं यमन को दिया। इसके अलावा छोटी-छोटी मात्रा में श्रीलंका, नामीबिया, लेसोथो और म्यांमार को चावल की मदद दी गई। एक्सपोर्ट का काम नैफेड को सौंपा गया है। सौदा दोनों देशों की सरकारों के बीच हुआ है, लिहाजा किसानों से एमएसपी पर खरीदे गए गेहूं का ही एक्सपोर्ट किया जाएगा। खाद्यान्न की दूसरे देशों की मांगों पर भी सरकार विचार कर रही है। कृषि मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, अभी तक रबी 2020 मौसम के दौरान नैफेड ने 1,07,814 मीट्रिक टन दलहन (चना: 1,06,170 मीट्रिक टन) और तिलहन (सरसों: 19.30 मीट्रिक टन और सूरजमुखी: 1,624.75 मीट्रिक टन) की एमएसपी मूल्य पर खरीद की है, कुल खरीद 526.84 करोड़ रुपए की हुई है। इससे कुल 75,984 किसानों को फायदा हुआ।
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कोरोना संकट के बीच, दवाओं के बाद जरुरतमंद देशों को अनाज का निर्यात करेगा भारत