
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथन ने एक साक्षात्कार में कहा कि पूरी दुनिया में चल रहे लॉकडाउन की वजह से बहुत सी कंपनियों को उन कलपुर्जों की सप्लाई नहीं हो पा रही है, जिससे वे अपना उत्पादन जारी रख सकें, इससे पूरी सप्लाई चेन ही बिगड़ गई है।गोपीनाथन ने कहा यह महामारी कब तक बनी रहेगी इस पर कुछ कहना मुमकिन नहीं है। यह एक अभूतपूर्व संकट है। इसलिए हम इसके थमने का अंदाजा लगाने के लिए किसी ऐतिहासिक आंकड़े का इस्तेमाल करने की स्थिति में भी नहीं हैं। उन्होंने कहा कोरोना का कहर एक बड़ा और अलग तरह का संकट है, जिससे निपटने के लिए हमें बड़े वित्तीय और मौद्रिक राहत उपाय करने होंगे।
गीता गोपीनाथन ने कहा अब तो इस बात का भी डर है कि इस महामारी से निपटने के बाद दुनिया के देश अधिक आत्मकेंद्रित और अपने में संकुचित हो जाएंगे। इस संकट से निपटने के क्रम में दुनिया में संरक्षणवाद की भावना बढ़ेगी। लेकिन हमें वैश्वीकरण से अपने कदम पीछे नहीं खींचने चाहिए। हमें इस संकट से उबरने के लिए सामूहिक प्रयास और आपसी सहयोग की जरूरत है। ऐसे में संरक्षणवाद और डी-ग्लोबलाइजेशन बढ़ने से रिकवरी के इस प्रयास को धक्का लगेगा। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने अपनी प्राथमिकताएं बहुत अच्छी तरह से तय की हैं। इस महामारी से निपटने के लिए सरकार की तरफ से जरूरी कदम उठाए गए हैं। सरकार में देश के गरीब और वंचित तबके को सीधे सहायता दी है। लेकिन हमें उम्मीद है कि सरकार इस तरह के प्रयास और बड़े पैमाने पर करने होंगे।