
नई दिल्ली । केंद्र सरकार ने कहा कि “कोविड-19 के संक्रमण के प्रसार की गति धीमी होनी शुरु हो चुकी है और यह बीमारी नियंत्रण में है। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, संक्रमित होने वालों में लगभग 80 प्रतिशत केवल मामूली रूप से बीमार होंगे, लगभग 15 प्रतिशत को ऑक्सीजन की आवश्यकता होगी और शेष 5 प्रतिशत जिनकी हालत गंभीर या नाजुक होगी, उन्हें वेंटिलेटर की आवश्यकता होगी। इस प्रकार वेंटिलेटर संक्रमित रोगियों के इलाज के लिए आवश्यक चिकित्सा अवसंरचना का एक महत्वपूर्ण घटक है, जो गंभीर रूप से बीमार पड़ने वालों को श्वास लेने में महत्वपूर्ण सहायता प्रदान करते हैं।
सरकार द्वि-आयामी रुख अपना रही है- घरेलू विनिर्माण क्षमता बढ़ाने के साथ-साथ चिकित्सा आपूर्ति के लिए दुनिया भर में खोज की जा रही है। तदनुसार, 25 अप्रैल, 2020 को आयोजित मंत्री समूह की बैठक में दी गई अद्यतन जानकारी के अनुसार घरेलू निर्माताओं द्वारा वेंटिलेटर का निर्माण पहले ही शुरू हो चुका है और नौ विनिर्माताओं के माध्यम से 59,000 से अधिक यूनिट्स के लिए आदेश दिए गए हैं।
इस संकट की घड़ी में भारतीय आविष्कारशील और रचनात्मक भावना अच्छे परिणाम सामने ला रही है। सीएसआईआर और इसकी 30 से अधिक प्रयोगशालाओं, आईआईटी जैसे संस्थानों और निजी क्षेत्र और सामाजिक संगठनों के अनेक संस्थानों सहित पूरा वैज्ञानिक समुदाय विभिन्न समाधानों के साथ सामने आया है, जिनमें से प्रत्येक ने महामारी के खिलाफ हमारी लड़ाई में कुछ न कुछ योगदान दिया है। आईआईटी बॉम्बे, एनआईटी श्रीनगर और इस्लामिक यूनिवर्सिटी ऑफ़ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (आईयूएसटी), अवंतीपोरा, पुलवामा, जम्मू और कश्मीर के इंजीनियरिंग छात्रों की एक टीम रचनात्मक व्यक्तियों का एक ऐसा समूह है जो वेंटिलेटर की आवश्यकता संबंधी समस्या को हल करने के लिए सामने आया। इस टीम ने स्थानीय स्तर पर उपलब्ध सामग्रियों का उपयोग करते हुए कम लागत वाला वेंटिलेटर बनाया।