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टुकड़े-टुकड़े होकर बिखर गया पुच्छल तारा -मई में आ रहा है ‘स्वान’, पृथ्वी के पास से गुजरेगा 

टुकड़े-टुकड़े होकर बिखर गया पुच्छल तारा -मई में आ रहा है ‘स्वान’, पृथ्वी के पास से गुजरेगा 

नई दिल्ली ।  हाल ही में एक पुच्छल तारा टुकड़े-टुकड़े होकर बिखर गया। यह तारा धरती की ओर बढ़ रहा था, लेकिन उससे पहले ही वह टूट कर बिखर गया। एटलस नाम के इस पुच्छल तारे के बिखरने की तस्वीरें हबल टेलीस्कोप ने भी लीं। कहा जा रहा था कि यह पृथ्वी के पास गुजरने वाला वह उन पुच्छल तारों में से एक होता जिन्हें नंगी आंखों से भी देखा जा सकता है। लेकिन अब इसकी जगह स्वान पुच्छल तारे ने ले ली है जो पृथ्वी के पास से होकर मई के महीने में ही गुजरेगा। स्वान पुच्छल तारा धरती से करीब 7.5 करोड़ मील दूरी से होकर गुजरेगा। यह इस समय काफी चमकीला दिखाई दे रहा है। इसकी चमक हरे रंग की है, लकिन इसकी पूंछ नीले रंग की होती है। पुच्छल तारे भी क्षुद्रग्रह की तरह सूर्य के चक्कर लगाते हैं,उनकी भी एक खास कक्षा होती है। जहां क्षुद्रग्रह चट्टान से बने होते हैं। वहीं पुच्छल तारे गैस, धूल और बर्फ से बने होते हैं। इनकी पूंछ होती है जो हमेशा सूर्य से विपरीत दिशा में होती है। यह पुच्छल तारा मई के मध्य में दिखाई दे सकता है। 
उम्मीद की जा रही है कि आगामी 13 मई को यह पृथ्वी की बहुत साफ दिखाई देगा क्योंकि इसी तारीख को यह पृथ्वी के सबसे नजदीक होगा और तभी यह सबसे साफ दिखाई भी देगा वह भी बिना किसी यंत्र के। यह तारा दक्षिणी गोलार्ध में यह ज्यादा साफ और स्पष्ट दिखेगा। वहीं उत्तरी गोलार्ध में वह इस महीने के अंत में दिखाई दे सकता है। कमेट स्वान को सोलर हेलियोस्फेरिक ऑबजर्वर अंतरिक्ष यान के सोलर विंड एनिसोट्रोपिस नाम के कैमरा से ली गईं तस्वीरों से सबसे पहले खोजा गया था। यह खोज इसी साल मार्च 25 को हुई थी। खोगलविद फिलहाल करीब 2000 क्षुद्रग्रह, पुच्छल तारे जैसे खगोलीय पिंडों पर नजरे जमाए हुए हैं। उन्हें रोज ऐसे नई पिंड मिलते भी रहते हैं। चूंकि इन तारों और क्षुद्रग्रहों की एक विशेष कक्षा होती है और ये सूर्य का चक्कर लगाते हैं तो इनके पृथ्वी से टकराने की संभावना नहीं के बराबर होती है। पिछली बार 6 करोड़ 60 लाख साल पहले एक क्षुद्रग्रह पृथ्वी से टकराया था जिसके कारण डायनासोर प्रजाति का धरती से पूरी तरह से सफाया हो गया था। इसके अलावा कई उल्कापिंड भी पृथ्वी की सतह पर आते रहते हैं। 
कई बार यह आशंका जरूर होती है कि कोई पुच्छल तारा पृथ्वी से टकरा सकता है। इसकी वजह यह होती है कि ये तारे बहुत लंबे समय बाद सूर्य के करीब आते हैं और उसी समय ये पृथ्वी के पास से भी गुजरते हैं। उनके पृथ्वी (वास्तव में सूर्य) के पास आने पर उनकी चमक भी बढ़ने लगते हैं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं होता कि वे पृथ्वी से टकराने वाले हैं। वैसे तो नासा और अन्य अंतरिक्ष एजेंसी अंतरिक्षीय पिंडों पर नजर रख ही रही हैं, लेकिन अभी तक किसी ने यह नहीं पाया है कि कोई पिंड पृथ्वी से टकराने वाला है। नासा के मुताबिक अगले कुछ सालों पृथ्वी से कोई बहुत बड़ी चीज नहीं टकराने वाली है।ये एजेंसी समय पर समय पर इन सभी पिंडों के रास्ते का पुनर्मूल्यांकन करती हैं। फिर भी इन पिंडों की आने वाले सालों या महीनों में रास्ता बदल सकता है। 
 

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