
नई दिल्ली। भारत में कोरोना के वायरस के अब तक कई अलग-अलग रूप देखने को मिल चुके हैं। ज्यादात्तर मरीज ऐसे हैं जिनमें कोरोना वायरस का असर हल्का या बगैर लक्षण के साथ दिखाई दे रहा है। ऐसे में वैज्ञानिकों का मानना है कि ज्यादात्तर भारतीयों में कोरोना वायरस का असर काफी निष्क्रिय दिखाई दे रहा है। जबकि अमेरिका सहित दुनिया के अन्य बड़े देशों में कोरोना का सबसे तीव्र रूप नजर आ रहा है। इसीलिए अब वैज्ञानिकों ने भारतीयों के जीन पर परीक्षण शुरू कर दिया है। हैदराबाद स्थित सेंटर फॉर सेलुलर एंड मॉलीक्यूलर बायोलॉजी (सीसीएमबी) में यह अध्ययन शुरू हो चुका है। सीसीएमबी निदेशक डॉ. राकेश मिश्रा का कहना है कि इस वक्त यह जानना जरूरी है कि क्या भारतीयों में आनुवंशिक अंतर है? क्या यह अंतर निर्धारित कर रहा है कि हम वायरस को कैसे संभालते हैं? इन सवालों के जबाव हासिल करने के लिए यह अध्ययन शुरू हो चुका है। इसके परिणाम आने में कुछ समय जरूर लगेगा लेकिन वैज्ञानिक तौर पर शायद हम यह निष्कर्ष पर पहुंच सकें कि भारत में कोरोना का असर अलग क्यूं है? इसके लिए हल्के या बिना लक्षण वाले मरीजों के देश भर से सैंपल एकत्रित किए जा रहे हैं। उनके जीनोम पर अध्ययन किया जा रहा है।
भारत में 17 से ज्यादा देशों का वायरस
दरअसल लेकर हाल ही में नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के वैज्ञानिकों ने तीन अध्ययन के बाद यह पता लगाया था कि भारत में 17 से ज्यादा देशों का वायरस है जिसका असर भी अलग अलग दिखाई दे रहा है। डॉ. मिश्रा बताते हैं कि अब तक के अध्ययनों में यह भी पता चल चुका है कि भारत में कोरोना वायरस के कई म्यूटेशन मिले हैं। इसीलिए देश के अलग अलग राज्यों में मौजूद शोध संस्थानों में कोरोना वायरस के 12 हजार अनुक्रम तैयार किए जा चुके हैं।
दुनिया में सबसे प्रभावित 12वां देश बना भारत
दुनिया के सबसे ज्यादा प्रभावित देशों में भारत अब 12वें स्थान पर पहुंच चुका है। मंगलवार तक स्वास्थ्य मंत्रालय ने 70,756 संक्रमित मरीजों की पुष्टि की है जबकि जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के अनुसार भारत में अब तक संक्रमित मरीजों का आंकड़ा 71,339 पहुंच चुका है।