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 सितंबर में भी कॉलेज की परीक्षाएं आयोजित करने की स्थिति में नहीं है तमिलनाडु -कोरोना की पृष्ठभूमि में ऐसा कदम विद्यार्थियों के भविष्य को खतरे में डालेगा: पलानीस्वामी

 सितंबर में भी कॉलेज की परीक्षाएं आयोजित करने की स्थिति में नहीं है तमिलनाडु -कोरोना की पृष्ठभूमि में ऐसा कदम विद्यार्थियों के भविष्य को खतरे में डालेगा: पलानीस्वामी

चेन्नई। कई शैक्षणिक संस्थानों को कोविड-19 केंद्रों में बदल दिए जाने के कारण तमिलनाडु सरकार सितंबर 2020 में अंतिम वर्ष या सेमेस्टर के विद्यार्थियों के लिए कॉलेज परीक्षाएं आयोजित करने की स्थिति में नहीं है। शनिवार को मुख्यमंत्री के.पलानीस्वामी ने कहा कि कोरोना वायरस प्रसार की पृष्ठभूमि में ऐसा कदम विद्यार्थियों के भविष्य को खतरे में डालेगा जो अंतिम वर्ष या अंतिम सेमेस्टर की परीक्षाएं देने वाले थे। उन्होंने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि वह राज्यों को गुणवत्ता और अकादमिक विश्वसनीयता से समझौता किए बिना, अपने मूल्यांकन के तरीकों पर काम करने की स्वतंत्रता दे। 
 केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल को लिखे पत्र में उन्होंने कहा कि छह जुलाई, के दिशा-निर्देशों (यूजीसी के) में देश के सभी शैक्षणिक संस्थानों को अंतिम सेमेस्टर के विद्यार्थियों के लिए सितंबर 2020 तक परीक्षाएं आयोजित करना अनिवार्य किया गया है। उन्होंने कहा कि दिशा-निर्देश में कई बाधाएं एवं कठिनाइयां हैं जिसमें विद्यार्थियों का परीक्षा केंद्र तक पहुंचना भी शामिल है क्योंकि उनमें से कई जिला या राज्य के बाहर रहते हैं और कुछ तो देश के भी बाहर हैं। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों की डिजिटल पहुंच से जुड़ी विभिन्न समस्याओं को ध्यान में रखते हुए, ऑनलाइन परीक्षाएं कराना भी व्यावहारिक नहीं है। इसके अलावा, राज्य में ज्यादातर सरकारी एवं निजी कला और विज्ञान एवं इंजीनियरिंग कॉलेज, पॉलीटेक्निक और उच्च शिक्षण के अन्य संस्थानों को कोविड-19 देखभाल केंद्रों में बदल दिया गया है, जहां बिना लक्षण वाले संक्रमित लोगों को पृथक-वास में रखा जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा, इसलिए, हम सितंबर 2020 तक इंतजार करने के बाद भी परीक्षाएं कराने की स्थिति में नहीं होंगे तो यह विद्यार्थियों के भविष्य को खतरे में डाल देगा जो अंतिम वर्ष या सेमेस्टर में हैं। उन्होंने कहा कि यह कैंपस चयन के माध्यम से चुने गए विद्यार्थियों और विदेशों में पाठ्यक्रम के लिए आवेदन करने वाले विद्यार्थियों के भविष्य को भी बेवजह प्रभावित करेगा।
 

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