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 छात्रों ने रोबोट बनाकर ई यंत्रा-2019 स्पर्धा में पाया पहला स्थान

 छात्रों ने रोबोट बनाकर ई यंत्रा-2019 स्पर्धा में पाया पहला स्थान

नई दिल्ली । राजधानी के मशहूर शिक्षण संस्थान जामिया मिल्लिया इस्लामिया के इंजीनियरिंग प्रभाग के चार छात्रों की एक टीम ने आईआईटी बॉम्बे द्वारा आयोजित कंसट्रक्ट-ओ-बॉट ई यंत्रा-2019 रोबोटिक्स स्पर्धा में पहला स्थान हासिल किया है। देश के विभिन्न इंजीनियरिंग कॉलेजों की सैकड़ों टीमों ने इस स्पर्धा  में हिस्सा लिया था, जिसके 6 विभिन्न विषय थे। विजयी टीम में जामिया के कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग के दूसरे वर्ष के छात्र इफारीन,शाहरुख खान और सैफ अली खान और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के दूसरे वर्ष के छात्र अभिषेक शुक्ला शामिल थे। इस टीम ने थीम कंस्ट्रक्ट-ओ-बॉट में पहला स्थान हासिल किया। प्रतियोगिता के दौरान टीम को एक ऐसे रोबोट का निर्माण करना था जो आपदा के दौरान ध्वस्त इमारतों के पुनर्निर्माण में मदद कर सकता हो। ईवाईआरसी-2019 प्रतियोगिता में जामिया की फैकल्टी ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी की 28 टीमों ने हिस्सा लिया, जिसमें से 25 टीमें पहले चरण के लिए और 10 टीमें दूसरे चरण तक आगे बढ़ीं। इस प्रतियोगिता को तीन चरणों में बांटा गया था। 
चरण-1 में क्वालिफाई करने के लिए टीमों को ऑनलाइन एप्टीट्यूड टेस्ट देना होता है। स्टेज-1 रोबोट के सिमुलेशन के बारे में है। स्टेज 1 को क्वालीफाई करने के बाद, हार्डवेयर को स्टेज 2 पर उन्नत कर दिया जाता है। इस चरण में कई निश्चित कार्य पूरा करने बाद, अंत में टीम को फाइनल प्रॉब्लम को हल करना होता है।
सफलतापूर्वक हल करने वाली टीमों को फाइनल के लिए चुना जाता है। जामिया के कंप्यूटर इंजीनियरिंग विभाग के प्रमुख, डॉ. तनवीर अहमद के निरंतर समर्थन से छात्रों ने अपनी टास्क को पूरा किया और प्रतियोगिता जीतने में कामयाब हुए। देशभर में इंजीनियरिंग/साइंस/पॉलिटेक्निक कॉलेजों में प्रभावी एंबेडेड सिस्टम और रोबोटिक्स शिक्षा का प्रसार करने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय, ई-यंत्रा प्रोजेक्ट को नेशनल मिशन ऑन एजुकेशन थ्रूआइसीटी के जरिए प्रायोजित कर रहा है। 
इससे पहले जामिया के पूर्व छात्र डॉ. अमित दत्त और मुंबई के टाटा मेमोरियल सेंटर में शोधकर्ताओं की उनकी टीम ने, किसी व्यक्ति में कोरोना वायरस के संक्रमण होने का समय रहते पता लगा लेने के लिए, रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी-आधारित रैपिड स्क्रीनिंग पद्धति विकसित की है। इसके जरिए बिना किसी खास लागत के, व्यक्तियों की लार से इस बात का तुरंत पता लगाया जा सकता है कि उसमें आरएनए वायरस तो नहीं है।
यह पद्धति, एयरपोर्ट और रेलवे स्टेशनों आदि पर आने जाने वाले व्यक्तियों का परीक्षण करके, इस घातक रोग को फैलने से रोकने में काफी कारगर साबित होगी। इस रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी आधारित परीक्षण में, कुछ ही मिनटों में, आरएनए वायरल पॉजिटिव नमूनों का पता लगाने की 91.6 (92.5 और 88.8 प्रतिशत विशिष्टता) की सटीक क्षमता है। इस शोध के निष्कर्षों के विवरणों का वर्णन करने वाली रिसर्च को विश्व की जाने-माने जर्नल ऑफ बायोपोटोनिक्स में प्रकाशित किया गया है और समूह द्वारा विकसित कम्प्यूटेशनल टूल आरवीडी को केवल 2 दिनों में दुनिया भर में 10 से अधिक समूहों द्वारा डाउनलोड किया गया है।

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