
लक्ष्य को निर्धारित करना और उसे एचीव करना टाटा कंपनी की फितरत में शामिल है यही कारण है कि पिछले वित्तीय वर्ष में जेएसडब्ल्यू स्टील को पीछे छोड़कर टाटा स्टील देश की सबसे बड़ी स्टील निर्णाता कंपनी बन गई है। भूषण स्टील को खरीदने से टाटा स्टील की कपैसिटी में बढ़ोतरी हुई है। जेएसडब्ल्यू स्टील प्रॉडक्शन के लिहाज से टाटा स्टील के करीब है। तीसरे स्थान पर सरकारी कंपनी स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया (सेल) रही। मार्च 2019 में समाप्त हुए फाइनैंशल ईयर में टाटा स्टील का कुल प्रॉडक्शन 1.67 करोड़ टन रहा। यह इससे पिछले फाइनैंशल ईयर में कंपनी के 1.24 करोड़ टन के प्रॉडक्शन से 35 फीसदी अधिक है। जेएसडब्ल्यू स्टील का प्रॉडक्शन 1.66 करोड़ टन रहा। सेल 70 हजार करोड़ रुपये की बड़ी विस्तार योजना पर आगे बढ़ रही है। कंपनी का फाइनेशल ईयर 2018-19 में प्रॉडक्शन 8.5 फीसदी बढ़कर 1.63 करोड़ टन रहा।
आईसीआईसीआई डायरेक्ट ने एक नोट में कहा, 'टाटा स्टील को अपने इंटीग्रेटेड ऑपरेशंस से फायदा हुआ है। देश की अन्य स्टील कंपनियों की तुलना में टाटा स्टील का प्रति टन एबिट्डा अधिक रहा।' भूषण स्टील के एक्विजिशन के बाद टाटा स्टील के क्रूड स्टील प्रॉडक्शन में 46 फीसदी की ग्रोथ हुई है। वर्ल्ड स्टील एसोसिएशन (डब्ल्यूएसए) के अनुसार, इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च बढ़ने से 2019 और 2020 में भारत में स्टील की डिमांड 7 फीसदी से अधिक बढ़ सकती है। डब्ल्यूएसए ने अपनी रिपोर्ट में बताया, फिस्कल डेफिसिट का सरकार की ओर से किए जाने वाले निवेश पर कुछ असर पड़ सकता है। हालांकि, इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स पर आगे बढ़ने से स्टील की डिमांड 2019 और 2020 में 7 फीसदी से अधिक बढ़ने की उम्मीद है। लोकसभा चुनाव के बाद भारत की इकनॉमी की ग्रोथ तेज हो सकती है। इकनॉमी अब डीमॉनेटाइजेशन और के झटकों और जीएसटी लागू होने के असर से उबर चुकी है।