नई दिल्ली । एमएसएमई की लंबे समय से चली आ रही समस्या में मदद करने के लिए, भारत सरकार ने अभी हाल ही में अनेक उपाय किए हैं। केन्द्रीय वित्त मंत्री ने आत्मनिर्भर भारत पैकेज के एक हिस्से के रूप में यह घोषणा की है कि सरकारी संस्थाओं को 45 दिनों के अंदर के इस तरह के भुगतान कर देने चाहिए। एमएसएमई मंत्रालय ने इस घोषणा का कड़ाई से अनुपालन किया और केन्द्रीय मंत्रालयों और केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यमों (सीपीएसई) और राज्य सरकारों के साथ इस मामले को उठाया। इस मामले में विशेष रूप से सीपीएसई के प्रमुखों के साथ बहुत सक्रिय अनुवर्ती कार्रवाई की गई।
- कुछ प्रयास उल्लेखनीय हैं:
रिपोर्टिंग को आसान, नियमित और सहज बनाने हेतु, मासिक भुगतान और मासिक बकाया राशि की रिपोर्टिंग के लिए एक समर्पित ऑनलाइन रिपोर्टिंग प्रारूप बनाया गया है। बताया गया है कि पिछले तीन महीनों में ही मंत्रालयों और सीपीएसई द्वारा 6800 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है। यह पता चला है कि अधिकांश केन्द्रीय मंत्रालयों और सीपीएसई द्वारा 1 महीने के दौरान लगभग तीन चौथाई मासिक भुगतान किया है। ये बकाया राशियां भी व्यापार के सामान्य क्रम में 45 दिनों से कम अवधि की होने की उम्मीद है।
भुगतान और नियमित रिपोर्टों के लिए राज्य सरकारों के साथ सक्रिय अनुवर्ती कार्रवाई की जा रही है। इसी तरह ऑनलाइन रिपोर्टिंग प्रणाली को भी तैयार किया गया है और राज्यों को भी रिपोर्टिंग करने के लिए कहा गया है। एक अन्य उपाय यह है कि व्यय विभाग ने इस आशय का कार्यालय ज्ञापन जारी किया है कि खरीदार संगठन को निर्धारित समय सीमा से अधिक समय में भुगतान करने पर भुगतान की तिथि तक प्रति माह 1% का दंडात्मक ब्याज देना होगा।
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टीआरईडीएस तंत्र पर एमएसएमई की ऑन-बोर्डिंग को बनाया नि:शुल्क