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 लॉकडाउन में महिलाओं के खिलाफ अपराध कम हुए या शिकायतें हुईं कम -मुंबई के धाराबी की 4 बच्चियों ने अपने घर पर ही फिल्म बनाकर बताई सच्चाई

 लॉकडाउन में महिलाओं के खिलाफ अपराध कम हुए या शिकायतें हुईं कम -मुंबई के धाराबी की 4 बच्चियों ने अपने घर पर ही फिल्म बनाकर बताई सच्चाई

मुंबई। कोरोना के चलते लागू लॉकडाउन में महिलाओं के खिलाफ गंभीर अपराध में 50 फीसदी की कमी बताई गई है। सवाल है कि अपराध कम हुए या फिर पीड़िताओं या फिर महिला अधिकारों के लिए लड़ने वाले संगठन मामले नहीं दर्ज करा पाए। इन्हीं सवालों के बीच मुंबई के धारावी में चार बच्चियों (उम्र 16-17) ने लॉकडाउन में अपने घर पर ही महिला अपराधों के खिलाफ फिल्म बना डाली। जिसकी हर ओर चर्चा हो रही है। रेड बलून और स्नेहा सरीखा संस्थाओं की मदद से बनी इन फिल्मों में यौन उत्पीड़न के दर्द को समझाया गया है। इस फिल्म का नाम 'रोकें नहीं साथ दें' है।
 बच्चियों ने कहा कि कोरोना काल में महिलाओं के खिलाफ अपराध में ही भले कमी दर्ज की गई हो, लेकिन हकीकत कुछ औ ही है। स्नेहा संस्था की संचालक ने कहा कि हमारी यही कोशिश होगी कि यह फिल्म अधिक से अधिक परिवारों तक पहुंचे। यह कहानी पूरे समाज की है। कोई यह बिल्कुल ना समझे कि यह कहानी सिर्फ धारावी की चार बच्चियों की ही है। करीब 3 मिनट के वीडियो में दिखाया गया है कि कैसे बच्चियों के परिजन उन्हें किसी छेड़खानी या अन्य उत्पीड़न को इग्नोर यानी अनदेखा करने को कहते हैं। बच्चियां इसे खारिज कर देती हैं। बच्चियां वीडियो में कह रही है- इग्नोर करने से हमारे आत्मविश्वास पर असर पड़ता है। गलत बोलने और करने वालों को बढ़ावा मिलता है। लॉकडाउन के कारण अपने घरों में ही बंद लड़कियों ने पहले कभी फिल्म की शूटिंग नहीं की थी, उन्होंने ज़ूम पर फिल्म मेकिंग के बेसिक्स सीखे और फिल्म बनाई।
 

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