नई दिल्ली । वौश्विक महामारी कोरोना ने पूरे बाजार को बदलकर रख दिया है। कोरोना को भारत में आए लगभग छह महीने हो गए हैं। शुरुआती 2 महीने तक पूरे देश में लॉकडाउन रहा। उसके बाद आंशिक रूप से आर्थिक गतिविधियों को शुरू करने की इजाजत मिली। लॉकडाउन के बाद से देश के रीटेल सेक्टर में काफी बदलाव आया है। लोग अब रीटेल स्टोर जाकर खरीदारी करने की जगह ऑनलाइन खरीदारी कर रहे हैं। इसके अलावा वे उन्हीं चीजों की खरीदारी कर रहे हैं जो जरूरी है। एनारॉक एंड रीटेलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, लॉकडाउन के बाद असेंशियल गुड्स (जरूरी वस्तुओं)की ऐवरेज वैल्यू करीब डेढ़ गुना तक बढ़ गई है। रीटेल में फूड और ग्रॉसरी की डिमांड काफी बढ़ी है। रीटेल सेक्टर की कंपनियों ने इस सेगमेंट में काफी ग्रोथ अनुभव किया है। एनारॉक की रिपोर्ट के मुताबिक, लॉकडाउन से पहले ऐवरेज बास्केट वैल्यू 650 रुपये थी जो अब बढ़ कर 900 रुपये हो गई है। रीटेल कंपनियों का कहना है कि कस्टमर्स ग्रॉसरी, अपैरल, इलेक्ट्रॉनिक्स, फर्निचर, क्विक सर्विस रेस्टोरेंट्स सेगमेंट में वी शेप रिकवरी दिखाई देने का अनुमान है। माना जा रहा है कि अगले 2-3 क्वॉर्टर में यह तेजी प्रमुखता से दिखाई देगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि पर्सनल केयर, होम असेंशियल सेगमेंट में अगले छह तिमाही तक सुधार दिखाई देगी। ऑनलाइन रीटेल ग्रोथ को लेकर एनरॉक रीटेल के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ अनुज केजरीवाल का कहना है कि 2019 में टोटल ऑनलाइन यूजर्स में केवल 15 फीसदी ऑनलाइन शॉपर्स हैं। 2026 तक यह 50 फीसदी तक पहुंच जाएगी। एक रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2016 में रीटेल सेल्स में डिजिटल रीटेल का योगदान 8-10 फीसदी था जो करीब 45-50 अरब डॉलर होता है। 2025 में डिजिटल रीटेल का योगदान 30-35 फीसदी पर पहुंच जाएगा तो साइज में करीब 550 अरब डॉलर का होगा।
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कारोना महामारी ने बदला खरीदारी का तरीका, जरूरी वस्तुओं पर डेढ़ गुना ज्यादा खर्च