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दुनिया का सबसे बड़ा सौर वृक्ष बिना धूप के भी पैदा करेगा बिजली

दुनिया का सबसे बड़ा सौर वृक्ष बिना धूप के भी पैदा करेगा बिजली

नई दिल्ली। वैज्ञानिक एवं औद्यौगिक अनुसंधान परिषद सीएसआईआर की दुर्गापुर स्थिति प्रयोगशाला ने दुनिया का सबसे बड़ा सौर वृक्ष तैयार किया है। यह वृक्ष एक छोटे गांव की बिजली की बुनियादी आवश्यकताओं की पूर्ति करने में सक्षम है। वृक्ष की खूबी यह है कि आसमान में यदि बादल छाए हों तो भी यह ठप नहीं होता है बल्कि थोड़ी कम बिजली पैदा करता है। सेंट्रल मैकेनिकल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट सीएमईआरआई के वैज्ञानिकों ने अपनी आवासीय कालोनी में इस वृक्ष को स्थापित किया है। इस वृक्ष में 35 सौर पैनल लगे हैं जिनकी क्षमता 11.5 किलोवाट पीक की है। यानी 40-46 यूनिट बिजली यह पैदा करता है। यदि बारिश का मौसम हो और धूप नहीं आ रही हो लेकिन वातावरण में गर्माहट हो तो भी यह सौर वृक्ष तकरीबन आधी क्षमता से काम करता है। सीएमईआरआई के निदेशक डा. हरीश हिरानी ने कहा कि यह सौर वृक्ष दुनिया का सबसे बड़ा सौर वृक्ष है तथा इसकी ऊंचाई न्यूनतम सात फीट और अधिकतम 13 फीट है। इसे इस प्रकार से बनाया गया है कि इसके पैनल ज्यादा से ज्यादा सूर्य का प्रकाश हासिल कर सकें। लेकिन इसमें एक हैंडल भी बना है जिससे इससे पैनलों को अपनी जरूरत के हिसाब से घुमाकर उन्हें धूप की तरफ फिक्स किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि यह सौर वृक्ष दूर-दराज के इलाकों जहां बिजली पहुंचा पाना मुश्किल है, उनके लिए बेहतरीन विकल्प है। इसकी लागत करीब साढ़े सात लाख रुपये आती है। जो किसी गांव के विद्युतीकरण पर आने वाली लागत की तुलना में कुछ भी नहीं है। इसे कृषि कार्य में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। पानी के पंप चलाने से लेकर बिजली चालित सभी उपकरणों को इससे चलाया जा सकता है। कुसुम योजना के तहत इसके इसके इस्तेमाल को प्रोत्साहित किया जा सकता है। हिरानी के अनुसार सौर वृक्ष के इस्तेताल से कार्बन उत्सर्जन में सालाना 10-12 टन की कमी आएगी। इस वृक्ष का एक और इस्तेमाल है, इसमें उपकरण और सेंसर भी लगाये जा सकते हैं। जैसे सीसीटीवी कैमरा, बारिश, आद्रर्ता मापने वाले उपकरण या कोई भी सेंसर जिसका इस्तेमाल कृषि में जरूरी हो।
 

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