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दिल्ली की फैक्ट्रियों में होते हैं सबसे ज्यादा हादसे, 73 फीसदी घटनाओं में मौतें : एनसीआरबी

दिल्ली की फैक्ट्रियों में होते हैं सबसे ज्यादा हादसे, 73 फीसदी घटनाओं में मौतें : एनसीआरबी

नई दिल्ली । फैक्ट्री में होने वाले हादसों में सबसे ज्यादा मौतें दिल्ली में हुई हैं। देशभर के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में दिल्ली नंबर एक पर है। देशभर में फैक्ट्रियों में हुए एक्सिडेंट के 28 फीसदी केस दिल्ली से आए हैं। इनमें मशीनों से होने वाली हादसे भी शामिल हैं। इन हादसों में 73 फीसदी  मामलों में किसी न किसी की मौत हुईं है।
गुजरात, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ में फैक्ट्रियों की भीड़ के बीच देश के राजधानी दिल्ली के ये आंकड़ें एक गंभीर विषय है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़े पिछले साल के हैं। पिछले साल देशभर में 1,082 हादसे फैक्ट्रियों में हुए। पूरे देश में दिल्ली में सबसे ज्यादा हादसे हुए और मौतें भी हुईं। 2019 में दिल्ली की फैक्ट्रियों में हुए हादसे के 300 मामलों में 220 लोगों की मौत हो गई। 83 लोग घायल हुए जिनमें 79 पुरुष और 4 महिलाएं थीं। मरने वाले लोगों में 199 पुरुष और 21 महिलाएं थीं। कुल हादसों में देशभर में 92.5% लोगों की मौत हो गई, हालांकि दिल्ली में 73% केस मौत में बदले।
दिल्ली के बाद गुजरात में सबसे 133 हादसों के मामले सामने आए हैं, इनमें 136 लोगों की मौत हुई। इसके बाद छत्तीसगढ़ में 86 हादसों में 86 लोगों की मौत हुई। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इन हादसों की कई वजह है। मसलन, सेफ्टी गजेट में खर्चे से बचना, सस्ती मशीनें खरीदना और सेमी-स्किल्ड वर्कर्स। इंडियन इंडस्ट्रीज असोसिएशन (आईआईए) के अध्यक्ष पंकज कुमार कहते हैं पिछले दो-तीन साल में हुए स्लो डाउन के दौरान कई आंत्रप्रन्योर, खासतौर पर घरेलू उद्योग, कुछ जरूरी पहलुओं से समझौता करते हैं क्योंकि उन्होंने कॉम्पिटिशन में आना है, जिसमें लागत प्रमुख है।  
कई छोटे और मध्यम उद्योग लागत घटाने के चक्कर में सस्ती मशीन ले लेते हैं, जिसका पार्ट अचानक टूट जाता है। कई बार मशीनों में वायर सही नहीं होते, सेफ्टी के लिए ट्रिपिंग और गजेट पर काम नहीं किया जाता। साथ ही, वो अपने डिवाइस की मेंटेनेस सही वक्त पर नहीं करते। बॉयलर फटने से, शॉर्ट सर्किट होने से हादसे अक्सर सामने आते रहते हैं।
उन्होंने कहा कि कर्मचारियों को भी जागरूक करना बहुत जरूरी है। अक्सर उनकी वर्कशॉप नहीं होती, इससे भी हादसे होते हैं। जैसे किसी काम के लिए जूते पहनना जरूरी है, मगर वे ऐसा नहीं करते। यह भी एक दिक्कत है कि इंस्टिट़यूट से भी पूरी तरह से कुशल वर्कर्स इंडस्ट्री को नहीं मिलते। असोसिएशन का कहना है कि केमिकल इंडस्ट्री में हादसों के चांस बहुत होते हैं, यहां तक कि बचाव के बावजूद। बिजली की वजह से भी फैक्ट्रियों में कई हादसें होते हैं। जिले के इंडस्ट्री सेंटर मजबूत होने चाहें जो इंडस्ट्री की कमियां बताएं ओर सख्ती से सेफ्टी नॉर्म्स को फॉलो करवाएं। इसके अलाव, मंत्रालय को भी सब्सिडी की सुविधाएं देनी चाहिए, ताकि वे सेफ्टी के खर्च से बचे नहीं।  
 

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