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चांद पर मिला जल, इंसान के इस्तेमाल करने के कितना योग्य, जवाब ढूंढेंगे नासा वैज्ञानिक

चांद पर मिला जल, इंसान के इस्तेमाल करने के कितना योग्य, जवाब ढूंढेंगे नासा वैज्ञानिक

वॉशिंगटन । इंसान ने चांद पर पैर रखकर एक बड़ा मुकाम हासिल कर लिया अब वैज्ञानिक इस प्रयास में है की यहां इंसानी जीवन की कितनी संभावना है। चांद की सतह पर जल की खोज के दावे के साथ ही ढेरों सवाल पैदा हो गए हैं। मसलन, चांद पर मिला जल इंसान के इस्तेमाल करने के कितना योग्य है या फिर चांद पर पानी की खोज से इंसानी आबादी को बसाने पर कितनी कारगर होगी। नासा वैज्ञानिक अब इन सवालों का जवाब खोजेंगे। वैज्ञानिकों का कहना है कि चांद पर पानी की खोज अंतरिक्ष से जुड़ी और अधिक जानकारी इकट्ठा करने के लिए एक गेटवे तो है ही, साथ ही अंतरिक्ष में जीवन की उम्मीद जगाता है। वैज्ञानिक मानते हैं कि अंतरिक्ष की और अधिक सघन अन्वेषण के लिए पानी की खोज वरदान साबित हो सकती है। वर्तमान में स्पेस पर जाने के लिए अंतरिक्ष यात्रियों को अपने साथ भोजन और पानी समेत सभी संसाधन लेकर जाना होता है। अगर चांद पर मिला पानी इंसान के इस्तेमाल के योग्य साबित हो जाता है तो इससे अंतरिक्ष यात्रियों को बड़ी मदद मिलेगी। उन्हें अपने मिशन पर कम मात्रा में पानी लेकर जाना होगा। इसके बजाय वह दूसरे जरूरी उपकरण अंतरिक्ष में साथ ले जा सकेंगे।
चांद पर पानी के रिसर्च को लीड करने वाली खगोलीय वैज्ञानिक कैसी हॉनिबल ने का कहना है कि पृथ्वी की तरह घने वायुमंडल की मौजूदगी के बिना चांद के प्रकाश वाले क्षेत्र में पानी का मिलना आश्चर्यजनक है। इसका मतलब है कि चांद पर कुछ ऐसी शक्ति है जो वहां जल की उत्पत्ति है और इसे बनाए रखती है। इसी के साथ इससे ढेरों सवाल भी पैदा होंगे, जिनका आगे की प्रकिया में जवाब पता लगाया जाएगा। नेचर एस्ट्रोनॉमी के ताजा अंक में प्रकाशित अध्ययन की रिपोर्ट के मुताबिक, चांद पर पानी की खोज वाले इलाके के डेटा से 100 से 412 पार्ट प्रति मिलियन की सांद्रता में पानी मिला है। तुलनात्मक रूप से देखें तो चंद्रमा की सतह पर जितनी पानी की खोज की गई है उसकी मात्रा अफ्रीका के सहारा रेगिस्तान में मौजूद पानी की तुलना में 100 गुना कम है। कम मात्रा में होने के बावजूद यह खोज सवाल उठाती है कि चंद्रमा की सतह पर पानी कैसे आया। साथ ही यह चंद्रमा के कठोर और वायुमंडलहीन वातावरण में कैसे बना रहता है।
नासा 2024 आर्टिमिस प्रोग्राम के तहत चांद पर पहली महिला और दूसरा पुरुष भेजने वाला है। नासा को इस मिशन से पहले चांद पर जल संसाधन के बारे में और अधिक जानकारी मिलने की उम्मीद है। एजेंसी को इस दशक के अंत तक चांद पर एक स्थायी मानव आबादी के बसने की उम्मीद है। बता दें कि चांद पर पानी की खोज नासा की स्ट्रेटोस्फियर ऑब्जरवेटरी फॉर इंफ्रारेड एस्ट्रोनॉमी (सोफिया) ने की है। सोफिया ने चंद्रमा के दक्षिणी गोलार्ध स्थित और धरती से दिखाई देने वाले सबसे बड़े गड्ढों में से एक क्लेवियस क्रेटर में पानी के अणुओं (एच2ओ) का पता लगाया है। नासा के मुताबिक, पिछले परीक्षणों के दौरान चांद की सतह पर हाइड्रोजन के अवयव मौजूद होने का खुलासा हुआ था लेकिन तब हाइड्रोजन और पानी के निर्माण के लिए जरूरी अवयव हाइड्रॉक्सिल (ओएच) की गुत्थी नहीं सुलझाई जा सकी थी।
 

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