
नई दिल्ली । दिल्ली सरकार वर्ष 2023 तक यमुना नदी के प्रदूषण को 90 फीसदी तक कम करेगी। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जलबोर्ड के साथ हुई समीक्षा बैठक में अधिकारियों ने यह जानकारी दी है। मुख्यमंत्री ने बुधवार को जल मंत्री सत्येंद्र जैन व जलबोर्ड अधिकारियों के साथ यमुना के प्रदूषण को कम करने की कार्ययोजना को लेकर समीक्षा बैठक की। बैठक में अधिकारियों को तय समय के अंदर काम पूरा करने का निर्देश दिया है। समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से पूछा कि यमुना को कैसे प्रदूषण मुक्त किया जा सकता है। जल बोर्ड द्वारा शोधित किए जा रहे पानी का कितना दोबारा उपयोग किया जा सकता है। दिल्ली जल बोर्ड ने इन दोनों बिंदुओं पर कार्य योजना पेश की। इसमें हरियाणा और उत्तर प्रदेश के साथ दिल्ली के घरों से निकलने वाले प्रदूषित पानी को आधुनिक तकनीक से शोधित करके कम से कम 400 एमजीडी पानी को पुन: प्रयोग करना है। अभी दिल्ली में सिर्फ 90 एमजीडी शोधित पानी का ही दोबारा प्रयोग होता है। दूसरा जलबोर्ड ने कहा कि अभी जिन घरों में सेप्टिक टैंक का प्रयोग हो रहा है, जलबोर्ड उसका ठोस कचरा खुद उठाएगा। बॉयो गैस प्लांट के जरिए उससे बिजली बनाने की तैयारी है। जलबोर्ड अधिकारियों ने कहा है कि उत्तर प्रदेश से 50 एमजीडी गंदा पानी आता है। उसे कोंडली एसटीपी में ले जाकर शोधित किया जाएगा। कई चरणों में इस कार्य को पूरा किया जाएगा और सभी के लिए समय सीमा निर्धारित कर दी गई। डीजेबी ने मोटे तौर पर मार्च 2023 तक यमुना के प्रदूषण को 90 प्रतिशत तक कम करने की कार्य योजना प्रस्तुत किया है। इसपर केजरीवाल ने कहा है कि सभी काम हर हाल में तय समय के अंदर होना चाहिए। ज्यादा से ज्यादा शोधित जल का प्रयोग भी बढ़ाया जाना चाहिए।