
नई दिल्ली । सरकार कर मामले में वोडाफोन समूह के पक्ष में आए फैसले को चुनौती देने से पहले ब्रिटेन की केयर्न एनर्जी पीएलसी के मध्यस्थता मामले में फैसले का इंतजार कर रही है। केयर्न एनर्जी ने सरकार द्वारा उसके खिलाफ पिछली तारीख से 10,247 करोड़ रुपए की कर मांग को अंतराष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण में चुनौती दी है।
इस मामले में अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण का फैसला अगले कुछ दिन में आ सकता है।
पंचाट का फैसला यदि भारत के खिलाफ आता है, तो सरकार को ब्रिटेन की कंपनी को 7,600 करोड़ रुपए का भुगतान करना पड़ सकता है। ऐसे में सरकार को केयर्न को रोके गए लाभांश और कर रिफंड के अलावा कंपनी के बेचे गए शेयरों के लिए भुगतान करना होगा। वोडाफोन के बहुचर्चित कर मध्यस्थता मामले में फैसला सरकार के खिलाफ गया है। वहीं केयर्न मामले में यदि फैसला सरकार के पक्ष में आता है, तो किसी तरह का मौद्रिक मुआवजा देने की जरूरत नहीं होगी।
मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने कहा कि यदि मध्यस्थता समिति केयर्न के खिलाफ सरकार की कर मांग को सही ठहराती है, तो उसके लिए वोडाफोन के फैसले को चुनौती देने को लेकर कुछ बाध्यता रहेंगी। लेकिन यदि केयर्न मध्यस्थता फैसला खिलाफ जाता है, तो सरकार निश्चित रूप से इसे चुनौती देगी। ऐसे में सरकार को वोडाफोन मामले को भी चुनौती देनी होगी। ऐसा नहीं हो सकता कि सरकार इस खिलाफ फैसले को चुनौती दे और दूसरे में ऐसा नहीं करे।