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अगले वित्त वर्ष के आ‎खिर तक कोविड-पूर्व के स्तर पर पहुंच जाएगी अर्थव्यवस्था: नीति आयोग - जुलाई-सितंबर तिमाही में अर्थव्यवस्था में गिरावट घटकर 7.5 प्रतिशत रह गई

अगले वित्त वर्ष के आ‎खिर तक कोविड-पूर्व के स्तर पर पहुंच जाएगी अर्थव्यवस्था: नीति आयोग - जुलाई-सितंबर तिमाही में अर्थव्यवस्था में गिरावट घटकर 7.5 प्रतिशत रह गई

नई ‎दिल्ली । देश की आर्थिक वृद्धि दर अगले वित्त वर्ष 2021-22 के आ‎खिर तक कोविड-19 के पूर्व के स्तर पर पहुंच जाएगी। नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने रविवार को यह बात कही। कुमार ने कहा कि चालू वित्त वर्ष 2020-21 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में गिरावट आठ प्रतिशत से कम रहने का अनुमान है। भारतीय रिजर्व बैंक ने भी चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर में गिरावट के अनुमान को 9.5 प्रतिशत से घटकर 7.5 प्रतिशत कर दिया है। अगले वित्त वर्ष के लिए वृद्धि दर के अनुमान के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा ‎कि हम 2021-22 के आ‎खिर तक कोविड-19 के पूर्व के स्तर पर पहुंच जाएंगे। चालू वित्त वर्ष में जीडीपी में गिरावट आठ प्रतिशत से कम रहने का अनुमान है। भारतीय अर्थव्यवस्था ने विनिर्माण गतिविधियां बढ़ने से चालू वित्त वर्ष की सितंबर तिमाही में उम्मीद से बेहतर सुधार दर्ज किया है। जुलाई-सितंबर तिमाही में अर्थव्यवस्था में गिरावट घटकर 7.5 प्रतिशत रह गई है। बेहतर उपभोक्ता मांग से आगे अर्थव्यवस्था की स्थिति और सुधरने की उम्मीद है। 
संपत्ति के मौद्रिकरण पर उन्होंने कहा ‎कि यह काम मौजूदा समय में जारी है और इसपर उच्चस्तर से ध्यान दिया जा रहा है। हम इस काम को जारी रखेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि संपत्ति के मौद्रिकरण लक्ष्य को हासिल किया जा सके। सरकार का चालू वित्त वर्ष में विनिवेश से 2.10 लाख करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य है। इसमें से 1.20 लाख करोड़ रुपए केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों (सीपीएसई) में हिस्सेदारी बिक्री से और 90,000 करोड़ रुपए वित्तीय संस्थानों में सरकार की हिस्सेदारी बिक्री से जुटाए जाएंगे। बैंकिंग क्षेत्र के सुधारों के बारे में पूछे जाने पर नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने कहा कि इस क्षेत्र का और विस्तार किए जाने की जरूरत है और साथ ही प्रतिस्पर्धा भी बढ़ाने की जरूरत है क्योंकि देश का निजी ऋण से सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) अनुपात काफी कम है। वहीं अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं के मामले में यह 100 प्रतिशत से अधिक है। ऐसे में हमें निजी कर्ज बढ़ाने की जरूरत है, यह तभी हो सकेगा जबकि हमारे बैंकिंग क्षेत्र का विस्तार होगा। नीति आयोग रसायन मुक्त प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन दे रहा है। इसमें कृषि उत्पादन की लागत में भारी कटौती करने करने की क्षमता है। साथ ही इसका पर्यावरण पर भी काफी सकारात्मक असर पड़ेगा।
 

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