
नई दिल्ली । नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) की स्थापना के 50 साल पूरे होने के अवसर हाल में आयोजित एक कार्यक्रम में जोर देकर कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था अगले कुछ वर्षों में विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार का उपयोग करके सभी क्षेत्रों में विश्व की शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं में शामिल होगी। इसके अलावा भारतीय अर्थव्यवस्था कोविड-19 के प्रभावों से भी जल्द ही उभरेगी। राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार परिषद (एनसीएसटीसी) और विज्ञान प्रसार द्वारा आयोजित डीएसटी गोल्डन जुबली डिस्कोर्स- ‘महामारी का दूसरा पक्ष’ पर आयोजित वेबिनार में उन्होंने कहा, “सरकार ने विश्व की शीर्ष तीन अर्थव्यवस्था में से एक बनने के लिए सभी क्षेत्रों में कदम उठाए हैं और सुधार किए जा रहे हैं। इन क्षेत्रों में कृषि, आधुनिक चिकित्सा, पारंपरिक चिकित्सा, नई शिक्षा नीति, लघु एवं मध्यम उद्योग और श्रम क्षेत्र शामिल हैं।”उन्होंने कहा कि इस महामारी ने कई चीजों को बदल दिया है और चीजों को करने के लिए नए तरीके दिखाए हैं। इनमें से अधिकांश चीजें कोविड के बाद के विश्व में भी उपस्थित रहने वाली हैं। डॉ. राजीव कुमार ने कहा, ‘कोविड के बाद के युग में गतिशील रहने के लिए हमें एक अभिनव आर्थिक प्रणाली की जरूरत है। उन्होंने कहा कि कोविड के बाद की अर्थव्यवस्था पहली तिमाही (अप्रैल-जून) के बाद रिकवरी मोड में आ गई है और यह उम्मीद है कि कोविड-19 की बाधाओं के असर से अगली कुछ तिमाहियों में वापसी कर लेगी। उन्होंने बताया कि भारतीय अर्थव्यवस्था अगले 20-30 वर्षों में औसतन 7-8 प्रतिशत की दर से वृद्धि करेगी और 2047 तक तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगी।
भारतीय अर्थव्यवस्था को विश्व के सर्वश्रेष्ठ के साथ प्रतिस्पर्द्धा करने में मदद करने के लिए सरकार द्वारा किए गए संरचनात्मक सुधारों के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, ‘कारोबार करने में आसानी और नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र जहां प्रत्येक स्कूली छात्रों की अभिनव उपकरण एवं रूझानों तक पहुंच हों, में सुधार करने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है।’
डीएसटी के सचिव प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने वेबिनार में इस बात को रेखांकित किया कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने सभी क्षेत्रों में विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार का उपयोग करके भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सभी क्षेत्रों में अपेक्षित दर से वृद्धि करने में मदद की है। इन क्षेत्रों में स्वच्छ ऊर्जा, स्वास्थ्य, शिक्षा, परिवहन, कृषि, संचार, विद्युत गतिशीलता, विद्युत भंडार और क्वांटम प्रौद्योगिकी शामिल हैं। उन्होंने प्रौद्योगिकी मिशनों से संबंधित वांछित परिणाम को लेकर वैज्ञानिकों को लचीलापन देने के लिए डीएसटी द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में भी बात की। इसके अलावा विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के उपयोग के माध्यम से स्टार्टअप्स की संख्या को भी बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं।