
नई दिल्ली । दो साल पहले किसानों को रुलाने वाला लहसुन इस बार मंडी में 150 रुपए किलो तक में बिक रहा है। कोरोना में लहसुन की बढ़ी हुई डिमांड के कारण किसानों और कारोबारियों की चांदी हो रही है। इम्यूनिटी बूस्टर होने के कारण लहसुन की डिमांड बढ़ गई है। लहसुन के दाम भी आसमान छू रहे हैं। दो साल पहले स्थितियां इसके बिल्कुल उलट थी। ज्यादा पैदावार होने के चलते लहसुन किसानों को ग्राहक नहीं मिल रहे थे, किसानों को इस फेंकने तक को मजबूर होना पड़ा था। मंडी व्यापारी का कहना है कि दो साल पहले लहसुन 20 रुपए किलो थोक में खरीद कर 40 रुपए किलो में लहसुन बेचा था। लेकिन इस बार 115 रुपए थोक में खरीदकर 150 रुपए किलो में बेचा जा रहा है। उनका कहना है कि औषधियों में उपयोग के लिए कम्पनियों द्वारा लहसुन बड़े स्तर पर खरीदा जा रहा है जिसके कारण इस बार लहसुन महंगा है।
आयुर्वेद में लहसुन का सेवन बेहद लाभकारी बताया गया है। आयुर्वेदाचार्य का कहना है कि लहसुन को इम्यूनिटी बूस्टर के साथ ही वात और कफ का शामक भी माना गया है। उनके मुताबिक लहसुन जीवाणुनाशक और विषाणुनाशक भी होता है। लिहाजा कोरोना जैसी विषाणुजनित बीमारियों से बचाव और इलाज में लाभकारी साबित होता है। इसके साथ ही लहसुन एंटी ऑक्सीडेंट भी है, इसकारण यहां हृदय रोग और रक्तचाप जैसी समस्याओं में लाभदायक है। औषधि के रूप में लहसुन का प्रयोग लम्बे समय से होता आया है और कोरोना काल में इसके उपयोग में बढ़ोतरी हुई है।
राजस्थान में हाड़ौती क्षेत्र में बड़े स्तर पर लहसुन की खेती की जाती है। कोटा, बूंदी, बारां और झालावाड़ में लहसुन की खेती की जा रही है। अनुमान के मुताबिक लहसुन की डिमांड करीब 30 फीसदी तक ज्यादा बढ़ गई है. इसके चलते किसानों को अच्छे भाव मिल रहे हैं और जिन कारोबारियों ने लहसुन का स्टॉक कर रखा है, वहां भी अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। लहसुन की बढ़ी डिमांड और अच्छे भाव के चलते किसान भी लहसुन की खेती को तवज्जो दे रहे हैं। कृषि विभाग के आंकड़ों के मुताबिक इस बार लहसुन की बुवाई एक लाख हैक्टेयर से ज्यादा क्षेत्र में की जा चुकी है जबकि पिछले साल करीब 91 हजार हैक्टेयर में ही लहसुन बोया गया था। इस बार प्रदेश में करीब 6 लाख मीट्रिक टन लहसुन की पैदावार का अनुमान है जो किसानों को अच्छे दाम दिलाएगा।