
नई दिल्ली । केंद्र की मोदी सरकार ने जीएसटी के द्वारा होने वाले फ्रॉड को रोकने के लिए जीएसटी के नियमों में पिछले दिनों 86बी नियम जोडा था।इसके बाद जिन कारोबारियों की मंथली 50 लाख से ज्यादा टर्नओवर होगा उन्हें 1 प्रतिशत जीएसटी का हिस्सा कैश जमा करना होगा। वहीं बकाया 99 प्रतिशत जीएसटी पहले की तरह इनपुट टैक्स क्रेडिट का इस्तेमाल करके चुकाने की सहूलियत मिलेगी। जीएसटी में हुए संशोधन का व्यापारियों के संगठन कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया (कैट) ने विरोध शुरू कर सरकार को पत्र लिखकर इस पर कड़ी आपत्ति जाहिर की है। वहीं पूरे मामले पर अब वित्त मंत्रालय की ओर से सफाई आई है। वित्त मंत्रालय ने अपनी सफाई में कहा है कि जीएसटी नियमों में किए इस बदलाव से 45 हजार टैक्सपेयर्स प्रभावित हो रहे है। वित्त मंत्रालय के अनुसार जिन कारोबारियों का मासिक टर्नओवर 50 लाख रुपए से ज्यादा होगा। उन्हें ही केवल जीएसटी की 1 प्रतिशत राशि नगद जमा करानी होगी।
वित्त मंत्रालय के स्पष्टीकरण के अनुसार जीएसटी के नियमों में 86बी नियम जोड़ने से कुल 1.2 करोड़ टैक्सपेयर्स में से केवल 45 हजार टैक्सपेयर्स ही प्रभावित हो रहे हैं। वहीं वित्त मंत्रालय के अनुसार बदलाव से ईमानदार डीलर और कारोबारी प्रभावित नहीं होने वाले है। बता दें वित्त मंत्रालय ने 22 दिसंबर को अधिसूचना जारी करके जीएसटी नियमों में नियम 86बी जोड़ने की जानकारी दी थी। कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने जीएसटी में नियम 86बी को रोकने की मांग की है। इस प्रावधान पर कड़ी आपत्ति जताकर कैट ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र भेजकर मांग की है कि इस नियम को तुरंत स्थगित कर और व्यापारियों से सलाह कर ही इस लागू करें। कैट के महासचिव प्रवीन खंडेलवाल ने सीतारमण को भेजे पत्र में कहा कि अब समय आ गया है जब एक बार सरकार को व्यापारियों के साथ बैठकर जीएसटी कर प्रणाली की संपूर्ण समीक्षा करनी चाहिए तथा कर प्रणाली को और सरलीकृत करना चाहिए। कैट ने इस मुद्दे पर सीतारमण से मिलने का समय मांगा है।