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औरंगाबाद का नाम संभाजीनगर करने पर सियासी संग्राम, कांग्रेस बोली, नाम बदला तो शिवसेना सरकार खतरे में पड़ जाएगी

औरंगाबाद का नाम संभाजीनगर करने पर सियासी संग्राम, कांग्रेस बोली, नाम बदला तो शिवसेना सरकार खतरे में पड़ जाएगी

मुंबई । देश में शहरों के नाम बदलने को लेकर राजनीति थमने का नाम नहीं ले रही है अब महाराष्ट्र में औरंगाबाद शहर का नाम 'संभाजी नगर' किए जाने को लेकर राजनीति गरमा गई है। सरकार के घटक दल शिवसेना और कांग्रेस के बीच जुबानी तलवारें खिंच गई हैं। कांग्रेस नेता संजय निरुपम ने कहा है कि अगर नाम बदला तो सरकार खतरे में पड़ जाएगी। वहीं, औरंगाबाद के पूर्व सांसद व शिवसेना नेता चंद्रकांत खैरे ने कहा कि कांग्रेस के विरोध का कोई मतलब नहीं है। उनका यह क्षणिक विरोध है। कांग्रेस के लोग सरकार छोड़कर कहीं नहीं जाएंगे। इस पर भाजपा ने चुटकी ली कि यह शिवसेना और कांग्रेस की मिलीभगत है, क्योंकि औरंगाबाद मनपा का चुनाव सिर पर है। इधर, मनसे ने नासिक में नाम बदलने के समर्थन में प्रदर्शन किया। दरअसल, औरंगाबाद मनपा का चुनाव आने वाला है। वहां शिवसेना सत्ता में है। जब भी औरंगाबाद मनपा के चुनाव आते हैं, तब शहर का नाम बदलने का मसला सामने आता है। अब फिर शिवसेना ने इस मसले को गरमा दिया है। इस पर गत दिनों महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष बालासाहेब थोरात ने अपनी कड़ी नाराजगी व्यक्त की थी। बालासाहेब थोरात ने सीधे-सीधे कहा था कि कांग्रेस नाम बदलने के प्रस्ताव का विरोध करेगी। वहीं, शिवसेना ने कहा कि कांग्रेस के विरोध से उनके रुख में कोई बदलाव नहीं आया है। अब कांग्रेस के संजय निरुपम ने शिवसेना को चेताया है।
निरुपम ने शनिवार को कहा कि महाराष्ट्र की तीन दलों की सरकार न्यूनतम साझा कार्यक्रम पर चल रही है। ऐसे में यदि कोई घटक दल अपना एजेंडा लादने की कोशिश करेगा तो यह सरकार की सेहत के लिए ठीक नहीं होगा। औरंगाबाद शहर का नाम बदलने को लेकर यदि शिवसेना ने ज्यादा जिद की तो यह सरकार के लिए खतरा बन सकता है। निरुपम ने कहा कि इतिहास की यह भी सच्चाई है कि औरंगजेब ने सन 1669 में काशी में बाबा विश्वनाथ का मंदिर और 1670 में मथुरा में कृष्ण भगवान का मंदिर तुड़वाया था। संभाजी महाराज हमारे लिए आराध्य हैं। उनकी वीरता का कांग्रेस पार्टी भी सम्मान करती है, पर हम शहरों के नाम बदलने की बजाय उसके विकास में विश्वास रखते हैं।
औरंगाबाद का नाम संभाजी नगर करने को लेकर भाजपा शिवसेना के साथ खड़ी है। भाजपा प्रवक्ता व विधायक राम कदम ने कहा कि शिवसेना का यह नाटक सिर्फ चुनाव तक रहेगा। जब राज्य में भाजपा के साथ शिवसेना सत्ता में थी तो उन्होंने औरंगाबाद का नाम बदलने का प्रस्ताव राज्य सरकार के पास नहीं भेजा, अब जब औरंगाबाद मनपा का चुनाव सिर पर हैं, तो उन्हें संभाजीनगर याद आ रहा है। मनसे नेता बाला नांदगांवकर ने एक ट्वीट कर शिवसेना को याद दिलाया है कि उनके ही मंत्रिमंडल में शामिल राज्य मंत्री अब्दुल सत्तार से कहा था कि जब वे शिवसेना में शामिल होने वाले थे, तब उन्हें पार्टी ने आश्वासन दिया गया था कि औरंगाबाद का नाम संभाजीनगर नहीं करेंगे। मनसे नेता ने सवाल उठाया कि क्या शिवसेना ने सत्तार से झूठे वादे किए थे या फिर आम आदमी से शिवसेना झूठ बोल रही है।
 

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