
नई दिल्ली । आने वाले दिनों में चीनी की मिठास और अधिक मीठी हो सकती हैं, क्योंकि भारत का चीनी उत्पादन अक्टूबर-दिसंबर के दौरान सालाना आधार पर 42 प्रतिशत बढ़कर 110.22 लाख टन हो गया। व्यापार आंकड़ों में इसकी जानकारी दी गई है। इसका मुख्य कारण अधिक गन्ना उत्पादन तथा महाराष्ट्र में चीनी मिलों का जल्दी काम शुरू करना है। चीनी विपणन वर्ष अक्टूबर से सितंबर तक चलता है। भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) ने कहा कि चीनी मिलों ने वर्ष 2020-21 की अक्तूबर-दिसंबर की अवधि में 110.22 लाख टन चीनी का उत्पादन किया, जबकि पिछले वर्ष की इसी अवधि में 77.63 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था। महाराष्ट्र में, समीक्षाधीन अवधि में चीनी उत्पादन 39.86 लाख टन रहा, जबकि एक साल पहले समान अवधि में यह 16.50 लाख टन रहा था। उत्तर प्रदेश में चीनी का उत्पादन मामूली वृद्धि के साथ 33.66 लाख टन हो गया जो पिछले साल समान अवधि में 33.16 लाख टन रहा था। अभी तक लगभग 10 लाख टन चीनी निर्यात के संबंध में अनुबंध हो चुके हैं। इसके साथ ही निर्यात के लिए चीनी को आगे भेजा जाना शुरू हो गया है।
सरकार ने चीनी के अधिशेष स्टॉक को खपाने के लिए सितंबर में समाप्त होने वाले विपणन वर्ष 2020-21 के दौरान 60 लाख टन चीनी निर्यात का लक्ष्य तय किया है। इस्मा ने कहा, दूसरे सबसे बड़े चीनी निर्यातक देश थाइलैंड में चीनी का उत्पादन, आमतौर पर होने वाली पैदावार से लगभग 80-90 लाख टन कम है। इसकारण , भारत के पास पश्चिम एशिया, श्रीलंका, बांग्लादेश, पूर्व अफ्रीका इत्यादि जैसे अपने पारंपरिक बाजारों के अतिरिक्त विशेषकर इंडोनेशिया और मलेशिया जैसे एशियाई आयात करने वाले देशों को अपनी चीनी का निर्यात करने का अवसर है। इस्मा ने कहा कि भारत के पास मार्च-अप्रैल 2021 तक चीनी निर्यात और उसके लिए अनुबंध करने का अच्छा अवसर है। ब्राजील की चीनी उस समय ही बाजार में आएगी।
उद्योग संगठन ने कहा कि पिछले 10 दिनों में रुपए का मूल्य 74 रुपए प्रति डॉलर से सुधरकर 73 रुपए प्रति डॉलर हुआ है जिससे भारतीय रुपए में चीनी मिलों का लाभ काफी हद तक कम हो गया है। इस्मा ने कहा, यह मानते हुए कि दुनिया में भारतीय चीनी की मांग है और थाइलैंड, यूरोपीय संघ आदि में चीनी का उत्पादन कम है, भारत वर्ष 2020-21 के दौरान 6,000 रुपए प्रति टन की निर्यात सब्सिडी के समर्थन के साथ अपने लक्षित मात्रा का निर्यात करने में सफल रहेगा।"