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महाराष्ट्र में नाम बदलने की कहानी पुरानी, नाशिक, पुणे, सीएसटी के बाद अब औरंगाबाद

महाराष्ट्र में नाम बदलने की कहानी पुरानी, नाशिक, पुणे, सीएसटी के बाद अब औरंगाबाद

मुंबई, । इन दिनों महाराष्ट्र में औरंगाबाद शहर का नाम बदलने को लेकर चर्चाएं हैं. हालांकि सत्ताधारी पार्टी शिवसेना नए नामकरण को लेकर आनाकानी कर रही है लेकिन बीजेपी लगातार याद दिला रही है कि शिवसेना ने नाम बदलने की बात सबसे पहले कही थी. दरअसल महाराष्ट्र में शहरों के नाम बदलने की कहानी पुरानी है. नाशिक और पुणे जैसे शहरों के भी नाम बदले जा चुके हैं. महाराष्ट्र के अलावा अन्य राज्यों में शहरों का नाम बदलने की राजनीतिक प्रथा रही है. उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले में मुगलसराय टाउन का नाम बदलकर पंडित दीन दयाल उपाध्याय नगर कर दिया गया था. इसे लेकर सोशल मीडिया पर काफी हो-हल्ला भी मचा था. खैर, महाराष्ट्र में इस वक्त औरंगाबाद के अलावा एक और शहर है जिसका नाम बदलने की चर्चा है. ओस्मानाबाद का प्रस्तावित नाम धराशिव है.
- कई शहरों और जगहों का नाम बदला गया
महाराष्ट्र के कई बड़े शहरों और जगहों के नाम पहले भी बदले जा चुके हैं. जैसे नाशिक. नाशिक को भारत की वाइन कैपिटल कहा जाता है और ये उत्तर महाराष्ट्र का सबसे बड़ा शहर है. 1615 में जब मुगलों ने इस शहर पर आधिपत्य जमाया तो इसका नाम गुलशनाबाद कर दिया गया था. बाद में 1734 में इसका नामकरण दोबारा नाशिक हुआ.
- छत्रपति शिवाजी टर्मिनस का नाम कई बार बदला गया
इसके अलावा पुणे का नाम भी पहले पूना हुआ करता था. मुंबई से सटे ठाणे का नाम ब्रिटिश शासन के समय में तन्हा हुआ करता था. कई ऐसी जगहें भी हैं जिनका नाम बदला गया. जैसे छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (सीएसटी) का नाम ब्रिटिश काल में विक्टोरिया टर्मिनस हुआ करता था. हालांकि इस स्टेशन का नाम कई बार बदला गया लेकिन वर्तमान नाम 1996 में फाइनल हुआ जो अभी भी बना हुआ है.
 

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