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ऊंचे राजकोषीय घाटे से भारत की रेटिंग पर दबाव नहीं पड़ना चाहिए: बजाज

ऊंचे राजकोषीय घाटे से भारत की रेटिंग पर दबाव नहीं पड़ना चाहिए: बजाज

नई ‎दिल्ली । राजकोषीय घाटा बढ़ने से देश की सॉवरेन रेटिंग दबाव में नहीं आनी चाहिए। आर्थिक मामलों के सचिव (डीईए) तरुण बजाज ने यह बात कही है। बजाज ने कहा कि कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए ऊंचे खर्च की वजह से भारत का राजकोषीय घाटा बढ़ेगा, लेकिन इससे रेटिंग पर दबाव नहीं पड़ना चाहिए। बजाज ने उम्मीद जताई कि बजट के आंकड़ों की विश्वसनीयता की वजह से रेटिंग एजेंसियां भारत की सॉवरेन रेटिंग को मौजूदा स्तर पर ही कायम रखेंगी। बजट 2021-22 के अनुसार चालू वित्त वर्ष में देश का राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 9.5 प्रतिशत पर पहुंचने का अनुमान है। अगले वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा 6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है। अर्थव्यवस्था पर महामारी के प्रभाव से कर संग्रह घटा है और सरकार का खर्च बढ़ा है। इससे सरकार का बाजार कर्ज 12.8 लाख करोड़ रुपए पर पहुंचने का अनुमान है। बजाज ने कहा ‎कि मुझे नहीं लगता कि इससे रेटिंग पर दबाव पड़ेगा क्योंकि दुनिया के सभी देश महामारी से प्रभावित हुए हैं। यह संकट सिर्फ भारत तक सीमित नहीं है। पश्चिमी दुनिया की तुलना में हमारी पुनरुद्धार की दर तेज है। बजट में मौजूदा मूल्य पर जीडीपी की वृद्धि दर 14.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है। आर्थिक मामलों के सचिव ने कहा ‎कि उन्हें हमारे बजट और सरकार द्वारा आगे बढ़ाए गए सुधारों को देखना चाहिए। सरकार उनके संपर्क में रहेगी और आंकड़ों के बारे में बताएगी। हमें उम्मीद है कि वे हमारी मौजूदा रेटिंग को कायम रखेंगे। पिछले महीने पेश आर्थिक समीक्षा 2020-21 में कहा गया था कि भारत की सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग अर्थव्यवस्था की मजबूत बुनियाद को नहीं दर्शाती है। समीक्षा में कहा गया था कि क्रेडिट रेटिंग का तरीका अधिक पारदर्शी होना चाहिए।
 

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