
नई दिल्ली । प्रमुख बंदरगाह न्यास, भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) समेत नोटों व सिक्कों की छपाई-ढलाई करने वाले चुनिंदा सरकारी उपक्रम रणनीतिक विनिवेश नीति के दायरे से बाहर रखे गए हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस माह की शुरुआत में पेश बजट में आत्मनिर्भर भारत के तहत नई सार्वजनिक उपक्रम विनिवेश नीति की घोषणा की। इसमें कहा गया है कि सार्वजनिक क्षेत्र के वाणिज्यिक उपक्रमों को रणनीतिक और गैर-रणनीतिक क्षेत्र में वर्गीकृत किया गया है।
इसके तहत जिन उपक्रमों का विनिवेश करने का प्रस्ताव है, उनमें केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रम, सरकारी बैंक और सरकारी बीमा कंपनियां शामिल हैं। नीति के अनुसार वैसे निकाय जो मुनाफा कमाने के लिए नहीं बने हैं या संकटग्रस्त समूहों को समर्थन प्रदान करते हैं अथवा विकास या संवर्धन में भूमिका निभाती हैं, उनके ऊपर यह नीति लागू नहीं होगी।
विनिवेश/रणनीतिक विनिवेश नीति में चार रणनीतिक क्षेत्र हैं। इनमें कुछ उपक्रमों को ही बरकरार रखा जाएगा। इनके अलावा अन्य कंपनियों का या तो निजीकरण किया जाएगा या उनका आपस में विलय कर दिया जाएगा या उन्हें बंद कर दिया जाएगा। इन चार क्षेत्रों में तीन क्षेत्र परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष व रक्षा; परिवहन व दूरसंचार और बिजली, पेट्रोलियम, कोयला व अन्य खनिज हैं। इनके अलावा गैर-रणनीतिक क्षेत्रों में बैंकिंग, बीमा और वित्तीय सेवा जैसे सीपीएसई का निजीकरण किया जाएगा या इन्हें बंद करने पर विचार किया जाएगा।