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 जेफ बेजोस और मुकेश अंबानी के बीच छिड़ी जंग पर दुनिया भर के निवेशकों की नजर 

 जेफ बेजोस और मुकेश अंबानी के बीच छिड़ी जंग पर दुनिया भर के निवेशकों की नजर 

नई दिल्ली । भारत के करीब एक ट्रिलियन डॉलर के रीटेल मार्केट में पैठ जमाने दुनिया के दो अमीरों जेफ बेजोस और मुकेश अंबानी के बीच जंग छिड़ी हुई है। जंग पर दुनियाभर के निवेशकों की नजर लगी हुई है। बेजोस की कंपनी अमेजॉन ने रिलायंस इंडस्ट्रीज और फ्यूचर ग्रुप की डील को रोकने के लिए पूरी जान लगा रखी है। इस हफ्ते मामले में एक नया घटनाक्रम देखने को मिला। पिछले सप्ताह दिल्ली हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने फ्यूचर ग्रुप की कंपनियों को अपने एसेट्स बेचने से रोक दिया था। लेकिन सोमवार को जजों की एक बेंच ने इस फैसले को उलट दिया। अब अमेजॉन फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकती है। फ्यूचर रीटेल ने अपने रीटेल और होलसेल कारोबार को रिलायंस को बेचने के लिए पिछले साल एक डील की थी। यह भारत के रीटेल सेक्टर में सबसे बड़ी डील है। अमेजॉन ने इसके खिलाफ सिंगापुर के आर्बिट्रेशन कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। आर्बिट्रेशन कोर्ट ने फ्यूचर रीटेल को इस डील को रोकने का आदेश दिया था। इसी फैसले को लागू करवाने के लिए अमेजॉन ने भारतीय अदालतों का रुख किया था।
दुनियाभर के निवेशकों की नजर इस बात पर हैं कि विदेशी मध्यस्थता पंचाटों के आपात फैसले भारत में वैलिड होते हैं या नहीं। इससे विदेशी निवेशकों को भारत में किए एग्रीमेंट्स की वैलिडिटी को भी जांचने का मौका मिलेगा। कॉन्ट्रैक्ट लागू करवाने के मामले में विश्व बैंक की रैंकिंग में भारत का स्थान वेनेजुएला, सीरिया और सेनेगल से भी नीचे है। पूर्व सिविल जज और अब सुप्रीम कोर्ट में वकालत कर रहे भरत चुग ने कहा कि विदेशी मध्यस्थता पंचाट के फैसलों को लागू नहीं करवाने से भारत की इमेज और खराब होगी। पहले से ही निवेश और बिजनस के मामले में भारत की छवि खराब है। कॉन्ट्रैक्स और विदेशी पंचाटों के फैसलों को तेजी से लागू करवाना विदेशी निवेश के लिहाज से अहम है।
रिलायंस इंडस्ट्रीज, अमेजॉन की भारतीय यूनिट और फ्यूचर ग्रुप के प्रवक्ताओं ने अदालत के फैसले पर तुरंत कोई टिप्पणी नहीं की। फ्यूचर रीटेल के वकीलों ने कोर्ट में दलील दी है कि कंपनी को बंद होने से बचाने के लिए रिलायंस के साथ डील ही आखिरी रास्ता है। इससे पहले दो विदेशी पंचाटों के फैसले भारत के खिलाफ आ चुके हैं। सितंबर में एक आर्बिटेशन ट्रिब्यूनल ने वोडाफोन पर 3 अरब डॉलर का टैक्स लगाने के भारत सरकार के फैसले को अनुचित बताया था जबकि एक अन्य फैसले में भारत को केयर्न एनर्जी पीएलसी को 1.2 अरब डॉलर लौटाने को कहा गया है।
 

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