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“सर्कुलर इकोनॉमी” ऑस्ट्रेलिया और साथ ही भारत के लिए बहुत अहम है: निक पैगेट 

“सर्कुलर इकोनॉमी” ऑस्ट्रेलिया और साथ ही भारत के लिए बहुत अहम है: निक पैगेट 

नई दिल्ली । भारत और ऑस्ट्रेलिया के प्रतिभाशाली युवाओं और स्टार्ट अप को नवोन्मेषी तकनीकी समाधान के माध्यम से साझा राष्ट्रीय मसलों के समाधान में सक्षम बनाने के लिए एआईएम और ऑस्ट्रेलिया की राष्ट्रीय विज्ञान एजेंसी सीएसआईआरओ ने भारत-ऑस्ट्रेलिया सर्कुलर इकोनॉमी आई-एसीएई हैकाथॉन, 2021 शुरू किया है। भारत के प्रधानमंत्री और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री के बीच 4 जून 2020 को वर्चुअल द्विपक्षीय शिखर बैठक में आई-एसीई संयुक्त हैकाथॉन का विचार आया था। इसमें दोनों देशों के बीच साझा सर्कुलर इकोनॉमी इनोवेशन की पहल करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की गई थी। इन दोनों देशों से प्राप्त हुए 1000 से अधिक आवेदनों की गहन जांच प्रक्रिया के बाद शीर्ष 80 आवेदनों का इस अनोखे हैकाथॉन के लिए चयन किया, जिसमें दोनों देशों के छात्र और स्टार्ट अप प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में सर्कुलर इकोनॉमी को प्रोत्साहित करने के लए नवोन्मेषी कदमों पर मिलकर काम करेंगे। उदाहरण के तौर पर पैकेजिंग का कचरा कम करने के लिए पैकेजिंग क्षेत्र में, खाद्य आपूर्ति श्रृंखला में बर्बादी रोकने में, प्लास्टिक कचरा कम करने में अवसरों का सृजन और संवेदनशील ऊर्जा धातु और ई-वेस्ट की रिसाइक्लिंग में नवोन्मेष। 
आई-एसीई को ऑस्ट्रेलिया के उद्योग, विज्ञान, ऊर्जा ओर संसाधन विभाग (डीआईएसईआर), एआईएम अटल इन्क्यूबेशन सेंटर नेटवर्क और विविध क्षेत्रों के विशेषज्ञों का समर्थन प्राप्त है। 8 और 11 फरवरी, 2021 के बीच चयनित टीमों द्वारा ऐसे बौद्धिक समाधानों की खोज करने का कार्यक्रम तय किया, जो कि प्रासंगिक, नवोन्मेषी, इस्तेमाल योग्य, प्रभावी हों तथा उनको वैश्विक बाजार में प्रचलित किया जा सके। उद्घाटन समारोह में सीएसआईआरओ के निदेशक (व्यावसायिक विकास और वैश्विक) निक पैगेट ने कहा, “इस हैकाथॉन का विषय “सर्कुलर इकोनॉमी” ऑस्ट्रेलिया और साथ ही भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। ऑस्ट्रेलिया की राष्ट्रीय विज्ञान एजेंसी के रूप में हम नवोन्मेषी विज्ञान और प्रौद्योगिकी के माध्यम से बड़ी चुनौतियों के हल पर ध्यान केन्द्रित कर रहे हैं। इसमें यह सुनिश्चित करना शामिल है कि हमारे लिए अनुकूल और मूल्यवान पर्यावरण उपलब्ध हो, हम स्वच्छ ऊर्जा और संसाधनों की ओर अग्रसर हैं और इन लक्ष्यों के करीब ही भावी उद्योगों का विकास हो।
 

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