
नई दिल्ली । वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि ज्यादा कमाई करने वाले कर्मचारियों को कर्मचारी भविष्य निधि में बचत करने से सरकार को कोई परेशानी नहीं है। ईपीएफ में सालाना 2.5 लाख रुपए के योगदान के फैसले पर दोबारा विचार करने के लिए वह तैयार हैं। इस माह की शुरुआत में पेश किए गए आम बजट में वित्तमंत्री ने 2.5 लाख रुपए से ज्यादा के सालाना योगदान पर टैक्स वसूलने का ऐलान किया था।
उन्होंने जोर दिया कि कर्मचारी भविष्य निधि अपने मौजूदा रूप में बना रहेगा। निकट भविष्य में ईपीएफ और नेशनल पेंशन स्कीम के विलय करने की कोई योजना नहीं है। बिजनेस लाइन के साथ एक इंटरव्यू में वित्त मंत्री ने कहा हम ईपीएफ को जारी रखना चाहते हैं। हम समझ सकते हैं कि लोगों के साथ यह एक आराम की बात है। खासतौर से मिडिल इनकम वाले लोगों के लिए, इससे उन्हें सुनिश्चित रिटर्न मिलने की उम्मीद रहती है।
उन्होंने कहा कि 2.5 लाख रुपए की लिमिट पर अभी भी चर्चा हो सकती है। मैं इस पर दोबारा विचार करने के लिए तैयार हूं, लेकिन यह सिद्धांत की बात है। यहां हम उनकी बात कर रहे हैं जो प्रति महीने औसत भारतीयों की कमाई से ज्यादा की बचत कर रहे हैं। वित्त मंत्री ने बजट में प्रस्ताव पेश किया था कि कर्मचारी भविष्य निधि में सालाना 2.5 लाख रुपए से ज्यादा के योगदान पर मिलने वाले ब्याज पर टैक्स लगाया जाएगा।
गौरतलब है कि पिछले बजट में पीएफ, एनपीएस और सुपर-एनुएशन फंड में कुल सालाना योगदान 7.5 लाख रुपए से ज्यादा होने पर उस पर मिलने वाले इंट्रेस्ट को टैक्स के दायरे में रखा गया था। इससे बहुत ही कम कर्मचारी प्रभावित हुए थे, लेकिन बजट 2021-22 में किए गए नए प्रावधान से इसका दायरा विस्तृत हुआ है। अब करदाताओं की संख्या बढ़ेगी और इस तरह सरकार की आय में भी इजाफा होगी।
स्वैच्छिक भविष्य निधि के जरिए टैक्स फ्री ब्याज पाने वालों को इससे तगड़ा झटका लगा है। अब वे इसका फायदा नहीं उठा सकेंगे। कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते बड़े पैमाने पर नौकरियां गईं और व्यवसाय को भी काफी नुकसान हुआ। ऐसे में आम लोग आयकर स्लैब में बदलाव की उम्मीद लगाए बैठे थे, लेकिन मोदी सरकार ने उनकी आशाओं को पूरा नहीं किया।