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खगोलविदो को मिली नई चट्टानी 'सुपर-अर्थ', एलियन जीवन के मिले संकेत?

खगोलविदो को मिली नई चट्टानी 'सुपर-अर्थ', एलियन जीवन के मिले संकेत?

लंदन । खगोलविदो को अपने शोध अभियान के दौरान एक नया 'सुपर-अर्थ' जैसा ग्रह मिला है जिसके वायुमंडल में एलियन जीवन की संभावना के संकते मिले है। इस ग्रह पर सतह का तापमान शुक्र ग्रह से थोड़ा कम है। मैक्स-प्लैंक इंस्टिट्यूट के खगोलविदो ने 26 प्रकाश वर्ष दूर लाल बौने सितारे का चक्कर काटते हुए इस ग्रह को खोजा है। ग्रीज 486बी नाम के इस ग्रह का रेडियस धरती से 1.3 गुना ज्यादा है लेकिन द्रव्यमान 2.8 गुना ज्यादा है। इस ग्रह को एक खास तरीके से खोजा गया है। इस स्टडी के नतीजे साइंस जर्नल में प्रकाशित हुए हैं और ऐस्ट्रोनॉमर्स ने उम्मीद जताई है कि और ज्यादा स्टडी से यहां जीवन की मौजूदगी से जुड़े सवालों के जवाब खोज लिए जाएंगे।
खोज करने वाली टीम के मुताबिक इस ग्रह की लोहे-सिलिकेट की बनावट धरती जैसी है लेकिन इसका तापमान कहीं ज्यादा है। इसकी सतह का तापमान 428 डिग्री सेल्सियस है जबकि शुक्र की सतह का तापमान 450 डिग्री सेल्सियस से भी ज्यादा होता है। बावजूद इसके यह पूरी तरह लावा में तब्दील नहीं हुआ है लेकिन लावा बहता जरूर है। ऐस्ट्रोनॉमर्स का कहना है कि यह जानने के लिए अभी और स्टडी की जरूरत है कि क्या इस ग्रह पर वायुमंडल है और क्या यहां जीवन मुमकिन है? वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि यहां जीवन हो सकता है लेकिन किस प्रकार का, यह कहना मुश्किल है।
ज्यादातर एक्सोप्लेनेट (ऐसे ग्रह जो हमारे सौर मंडल से बाहर किसी और सितारे का चक्कर काट रहे हैं) दो तरीकों से खोजे जाते हैं- ट्रांजिट फोटोमेट्री और डॉपलर रेडियल वेलॉसिटी। ट्रांसिट फोटोमेट्री में ग्रह के सामने से निकलने पर सितारे की चमक में आए बदलाव को देखा जाता है। डॉपलर फोटोमेट्री में चक्कर काट रहे ग्रह के गुरुत्वाकर्षण का सितारे पर असर देखा जाता है। ग्रीज486बी की खोज के लिए ट्राइफन ट्राइफनोव और उनके साथियों ने दोनों तरीकों का इस्तेमाल किया है जिससे ग्रह के द्रव्यमान, रेडियस और घनत्व के बारे में पता चल सका है। स्पेक्ट्रोस्कोपी की मदद से इसमें मौजूद केमिकल्स और बायोमेकर्स को खोजा जा सकता है जिससे जीवन की संभावना का पता चल सके।
ग्रीज 486बी अपने सितारे ग्रीज 486 का एक चक्कर 1.467 दिन में काटता है। ऐस्ट्रोनॉमर्स का मानना है कि इसका घनत्व धरती जैसा है। इसलिए हो सकता है कि इसकी लोहे-सिलिकेट की बनावट हमारे जैसी हो। रिसर्चर्स ने अपने पेपर में बताया है कि इसका द्रव्यमान और रेडियस इसे धरती और 'सुपर-अर्थ' ग्रहों के बीच में रखता है। इसके घनत्व से यह भी अंदाजा लगाया गया है कि इस पर पानी कम है और जमीन ज्यादा। इसकी चमक इतनी तेज है कि इसे धरती पर कहीं से भी टेलिस्कोप्स की मदद से देखा जा सकता है। ऐसे में इसके बारे में और ज्यादा जानकारी जुटाना आसान हो सकता है।
 

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