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बैंक हड़ताल के समर्थन में आए राहुल गांधी - दो बैंकों के निजीकरण के प्रस्ताव के विरोध में सड़क पर उतरे सरकारी बैंकों के कर्मचारी 

बैंक हड़ताल के समर्थन में आए राहुल गांधी - दो बैंकों के निजीकरण के प्रस्ताव के विरोध में सड़क पर उतरे सरकारी बैंकों के कर्मचारी 

नई दिल्ली । केंद्र सरकार की नीतियों और सार्वजनिक क्षेत्र के दो और बैंकों के निजीकरण के प्रस्ताव के विरोध में सरकारी बैंकों के कर्मचारी सड़क पर उतर आए उनकी हड़ताल का आज दूसरा दिन है। सोमवार को हड़ताल के पहले दिन बैंकिंग कामकाज प्रभावित हुआ था। हड़ताल के चलते सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में नकदी निकासी, जमा, चेक क्लीयरेंस और कारोबारी लेनदेन प्रभावित हुआ। आज भी इन सेवाओं के प्रभावित होने की आशंका है। यूनियन नेताओं ने दो दिन की इस हड़ताल में करीब 10 लाख बैंक कर्मचारियों और अधिकारियों के शामिल होने का दावा किया है। नौ यूनियनों के संगठन यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (यूएफबीयू) ने 15 और 16 मार्च को हड़ताल का आह्वान किया है। इनमें एआईबीईए, एआईबीओसी, एनसीबीई, एआईबीओए, बीईएफआई, आईएनबीओसी, एनओबीडब्ल्यू और एनओबीओ शामिल हैं। बैंक यूनियनों ने कहा कि हड़ताल की वजह से तीन राष्ट्रीय ग्रिड चेन्नई, मुंबई और दिल्ली में 16,500 करोड़ रुपये के 2.01 करोड़ चेक अटके रहे। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांग नहीं मानी गई तो वे भी किसान आंदोलन के नक्शेकदम पर चल सकते हैं। कृषि कानूनों के खिलाफ किसान पिछले साल नवंबर से आंदोलन कर रहे हैं।
इस बीच कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने बैंक हड़ताल का समर्थन किया है। उन्होंने ट्वीट किया, 'भारत सरकार प्रॉफिट का निजीकरण और नुकसान का राष्ट्रीयकरण कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी उद्योगपतियों को सरकारी बैंक बेचने से देश की वित्तीय सुरक्षा के साथ समझौता किया जा रहा है। मैं बैंक कर्मचारियों की हड़ताल का समर्थन करता हूं।' वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले महीने पेश आम बजट में सरकार की विनिवेश योजना के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों के निजीकरण की घोषणा की थी। ऑल इंडिया बैंक एम्पलाइज एसोसिएशन (एआईबीईए) ने बयान में कहा कि अतिरिक्त मुख्य श्रम आयुक्त के साथ 4, 9 और 10 मार्च को हुई सुलह-सफाई बैठक में हमने कहा था कि यदि सरकार अपने फैसले पर पुनर्विचार करे, तो हम हड़ताल के फैसले पर पुनर्विचार करेंगे। लेकिन सरकार ने हमारी पेशकश स्वीकार नहीं की।
बयान में कहा गया है कि सोमवार को शुरू हुई हड़ताल सफल रही। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने अपने ग्राहकों को सूचित कर दिया था कि वे लेनदेन के लिए डिजिटल माध्यम मसलन इंटरनेट और मोबाइल बैंकिंग का इस्तेमाल करें। सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया ने शेयर बाजारों को भेजी सूचना में कहा कि हड़ताल की वजह से उसकी शाखाओं में बैंकिंग कामकाज प्रभावित हुआ। ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन (एआईबीओसी) के महासचिव सौम्य दत्ता ने कहा कि सरकार की नीतियों का अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। इसका परिणाम राज्यों के आगामी विधानसभा चुनावों के नतीजों में भी दिखेगा। उन्होंने कहा कि कुछ शीर्ष स्तर के कर्मचारियों को छोड़कर बैंकों के सभी कर्मचारी इस दो दिन की हड़ताल में शामिल हुए हैं।
दत्ता ने कहा कि हड़ताल से नकदी निकासी, जमा, लेनदेन, ऋण प्रक्रिया, चेक समाशोधन जैसी सभी बैंकिंग सेवाएं प्रभावित हुई हैं। उन्होंने कहा कि हड़ताली कर्मचारियों ने देशभर में जहां अनुमति मिली वहां रैलियां निकाली। इसके अलावा वे धरने पर बैठे। दत्ता ने कहा कि यदि सरकार ने हमारी बातों को नहीं सुना, तो हम और बड़ा कदम भी उठा सकते हैं। यह कदम किसान आंदोलन की तरह अनिश्चितकालीन हड़ताल का हो सकता है।
 

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