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 दिल्ली के दो गोदामों पर पुलिस का छापा

 दिल्ली के दो गोदामों पर पुलिस का छापा

नई दिल्ली । कोरोना काल के दौरान दिल्ली के द्वारका इलाके में कथित तौर पर इस्तेमाल हो चुके सर्जिकल दस्ताने बेचने के मामले में पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों की पहचान मनीष कुमार (39 वर्षीय), अरुण श्रीनिवासन (37 वर्षीय) और दिनेश कुमार (28 वर्षीय) के रूप में हुई है। पुलिस ने गुरुवार को बताया कि प्राथमिक जांच से पता चला कि आरोपियों ने टीकरी इलाके के एक व्यापारी के जरिए कबाड़ बाजार और अस्पताल से इस्तेमाल हो चुके सर्जिकल दस्ताने खरीदे थे। व्यापारी को पकड़ने के प्रयास जारी हैं। पुलिस ने बताया कि डाबरी के थाना प्रभारी सुरेंद्र संधू के नेतृत्व में एक टीम ने डाबरी और बिंदापुर के दो गोदामों में मंगलवार को छापेमारी की और वहां से इस्तेमाल हो चुके 848 किलोग्राम सर्जिकल दस्ताने जब्त किए। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि इस्तेमाल हो चुके इन सर्जिकल दस्तानों को साफ कर और पैकेट में बंद कर फैक्ट्रियों, सैलून और होटलों में सस्ते दामों पर बेचा जाता था। इनकी पैकिंग इस तरीके से की जाती थी कि कोई भी इनको पहचान नहीं पाता था।  पुलिस उपायुक्त (द्वारका) संतोष कुमार मीणा ने बताया कि मंगलवार को इस संबंध में एक मुखबिर के जरिए जानकारी मिली थी कि डाबरी और बिंदापुर की दो इमारतों में पहले से इस्तेमाल हो चुके दस्तानों को धोकर पैकेट में बंद किया जा रहा है। टीम ने इन स्थानों पर छापेमारी कर इस्तेमाल हो चुके 848 किलोग्राम दस्ताने बरामद किए। उन्होंने बताया कि भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। पुलिस ने बताया कि आरोपियों को बाद में सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देश के अनुसार जमानत पर छोड़ दिया गया। फैक्ट्री से 98 बोरे बिना धुले, 60 बोरे धुले हुए सर्जिकल दस्ताने और आठ सौ पैकिंग बॉक्स बरामद हुए थे। फैक्ट्री में दो धुलाई मशीनें, एक सुखाने वाली मशीन तथा एक वाशिंग मशीन लगी हुई थी। फैक्ट्री को भजनपुरा दिल्ली निवासी गुड्डू उर्फ जमीर अहमद, अजीम अहमद पुत्र जहीर एवं चावड़ी बाजार दिल्ली निवासी परवेज पुत्र मोहम्मद यूसुफ चला रहे थे। आरोपियों ने बताया था कि नए दस्तानों का डिब्बा करीब 600 रुपये का आता है, लेकिन वह धुले हुए 100 जोड़ी दस्ताने के डिब्बे को 350 रुपये में दिल्ली के भगीरथ पैलेस मार्केट में थोक की दुकानों पर बेचते थे। इसके साथ ही अन्य मार्केटों में मांग के अनुसार भी सप्लाई की जाती थी।
 

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